अब समय है, चेत जाइए
इस लोकतंत्र को बचाए रखिए
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सुरेंद्र किशोर
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इस देश में लोकतंत्र को यदि बनाए-बचाए रखना है तो सिर्फ वैसे ही नेताओं को वोट दीजिए,वैसे ही सुप्रीमो को आगे बढ़ाइए , जिनका उद्देश्य राजनीति व सत्ता की ताकत से खुद के लिए पैसे कमाना नहीं है।
साथ ही,जिनका लक्ष्य अपने वंश या परिवार को राजनीति व सत्ता में जगह दिलाना नहीं है।
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कुछ अनुभवी लोग इन दिनों बता रहे हैं कि इस देश की कम-से कम दो समस्याओं का हल इस ढीले -ढाले लोकतंत्र में नहीं है।
उसके लिए देश को एक ‘‘परोपकारी तानाशाह’’ चाहिए ।
चीन की सरकार भी कहती है कि वह जिस आतंकवाद से इन दिनों अपने देश में जूझ रही है,उस आतंकवाद का इलाज लोकतांत्रिक व्यवस्था में संभव ही नहीं है।
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इन अनुभवी लोगों के विचार को अधिक बल न मिले,इसके लिए यह जरूरी है कि इस देश के लोकतांत्रिक सिस्टम से भ्रष्टों और वंशवादियों-परिवारवादियों को जल्द से जल्द निकाल बाहर कर दिया जाए।
अन्यथा,देर-सवेर तानाशाही आएगी ही।
यदि वैसा हुआ तो पहले तो तानाशाही परोपकारी दिखाई पड़ेगी,पर बाद में अत्याचारी बन सकती है।
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20 सिबंर 21
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