धर्म निरपेक्ष और साम्प्रदायिक
व्यक्तियों की अब नई पहचान ?!!
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पहले तो यह माना जाता था कि जो व्यक्ति बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों समुदायों के बीच के सांप्रदायिक तत्वों की समान रूप से आलोचना करे ,वह वास्तविक धर्म निरपेक्ष है।
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पर, अब कुछ लोगों के लिए परिभाषा बदल चुकी है।
अब सर्टिफिकेट बांटने वाले धर्म निरपेक्ष उन्हें ही करार देते हैं जो सिर्फ बहुसंख्यकों के बीच के साम्प्रदायिकों के खिलाफ बोले और लिखे।
यदि अल्पसंख्यकों के बीच के साम्पदायिक लोगों पर कोई अंगुली उठाता है,वह आले दर्जे का कम्युनल है।
असली धर्म निरेक्ष वही है जो बहुसंख्यकों की साम्प्रदायिकता के खिलाफ तो गला फाड़ कर बोलता है या कलम तोड़ लेखन करता है,पर दूसरे पक्ष की भावना को सहलाता रहता है,कई तरह से मदद भी करता है।
आप यदि उसे भी साम्प्रदायिक कह देंगे जो खुलेआम जेहाद की वकालत करता है,अपने लिटरेचर में वैसा लिखता है,मीडिया में वैसा बयान भी देता है, तो भी आप सेक्युलरों की सूची से बाहर कर दिए जाएंगे।
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ऐसे कैसे चलेगा यह देश !!
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18 दिसंबर 21
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