देखते जाइए, सिद्धू और क्या-क्या करते हैं !!!
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--सुरेंद्र किशोर--
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‘‘जैसे सोनिया गांधी की बात पूर्व पी एम मनमोहन सिंह
मानते थे, मैं भी अध्यक्ष होने के नाते मुख्य मंत्री चन्नी से यही उम्मीद रखता हूं।’’
-- पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू
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दैनिक भास्कर ( 29 दिसंबर, 21) से बातचीत में श्रीमान सिद्धू ने तो घुमा फिराकर यह कह दिया है कि मनमोहन जी अपनी सरकार की नीतियां सोनिया जी से पहले तय करवा लेते थे।सिद्धू बचाकर बोले।
पर, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार (2004-2008) रहे संजय बारू ने तो अपनी पुस्तक (द एक्सीडेंटल पी.एम.......) में साफ -साफ लिख दिया है कि ब्यूरोक्रेट पुलक चटर्जी के जरिए सोनिया गांधी पूरी सरकार चलाती थीं।
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अधिकतर जानकार लोग यही जानते रहे हैं कि सोनिया गांधी ही सरकार थीं और मनमोहन सिंह मात्र रबर स्टाम्प थे।
सिद्धू ने इस धारणा की लगभग पुष्टि कर दी है।
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पर, अपरिपक्व सिद्धू को यह नहीं पता कि ऐसी सुविधा सिर्फ फस्र्ट फेमिली को हासिल रही है।
1946-47 के कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.बी.कृपलानी को ऐसी ही गलतफहमी थी।
पर तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें उनकी हैसियत बता दी।
गांधी जी भी कृपलानी की कोई मदद नहीं कर सके थे।
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जब आप किसी अपरिपक्व नेता को अघोषित कारणों से ऊंचे पद पर बैठा देंगे तो वह आपकी पार्टी व सरकार का फायदा कम और नुकसान अधिक कर देगा।
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एक बार राहुल गांधी ने कह दिया था कि हमारे परिवार ने 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए।
जबकि कांग्रेस यह कहती रही है कि बांग्ला देश मुक्ति वाहिनी ने नया देश बनाया।हमने उसकी सिर्फ मदद की।
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राहुल गांधी ने 2008 में अमृतसर जाकर कहा कि सिखों के खिलाफ 1984 में हुए दंगे पूरी तरह गलत थे।
राहुल ने सही कहा।
पर ऐसा कहना राजनीतिक रूप से यह कांग्रेस के लिए सही ंनहीं था।
क्योंकि उस दंगे के बारे में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी कह चुके थे कि ‘‘जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है।’’
वैसे उसे दंगा कहना भी गलत है।
वह तो एक तरफा नरसंहार था।
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अब सवाल है कि सिद्धू पंजाब सरकार से क्या चाहते हैं ?
पहले ही वे दबाव डालकर डी.जी.पी.और महा अधिवक्ता को हटवा चुके हैं।
अब लगता है कि वे सिर्फ उतने ही से संतुष्ट नहीं है।
बेचारा चन्नी !!!
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29 सिबंर 21
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