मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

 पाक के पास अपनी सरकार चलाने के लिए पैसे नहीं हैं।

पर, भारत पर चार बार हमला करने व लगातार आतंकी भेजने-पालने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं !

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इधर जफर अब्बास जैसों की भारत में मौजूदगी व सक्रियता इस देश के अनेक राजनीतिक-गैर राजनीतिक वोटलोलुप-धनलोलुप लोगों के लिए कोई समस्या नहीं !!!!

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   --सुरेंद्र किशोर--

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पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने हाल में कहा कि ‘‘हमारे पास अपनी सरकार चलाने के लिए पैसे नहीं हैं।’’

हां, याद रहे कि पाकिस्तान के पास भारत सहित दुनिया भर में आतंक फैलाने और इस्लाम का शासन कायम करने के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है।लश्कर ए तोयबा सहित करीब एक दर्जन इस्लामिक आतंकी पाक में पल रहे हैं। 

इससे समझ जाइए कि पाक की प्राथमिकताएं क्या हैं ! 

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 पाकिस्तान के पास आजादी के बाद भारत पर चार बार हमला करने के लिए पैसे की कोई कमी नहीं रही।

पाक भारत में बड़ी संख्या में अपने एजेंट पाल रखे हैं।उन

पर वह खुलकर पैसे लुटाता है।

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हाल में बिहार के गोपालगंज में गिरफ्तार लश्कर एक तोयबा का ओवर ग्राउंड वर्कर जफर अब्बास के भारत स्थित बैंक खातों में पाक से 50 करोड़ रुपए आए थे।

ऐसे न जाने पाक के कितने भारतीय जासूस व दलाल भारत में सक्रिय हैं !

वे दिन रात काम कर रहे हैं।

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पाकिस्तान का निर्माण ही इसी उद्देश्य से हुआ था।

पाक सरकार के पास अपने कर्मचारियों व पाक दूतावासों के 

स्टाफ को वेतन देने के लिए भले पैसे न हों।

किंतु भारतीयों के बीच अपने समर्थक व लश्कर पालने के लिए पैसे जरूर है।

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उसके ऐसे रवैए के बावजूद कांग्रेस के मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर (2015)वहां के लोगों से अपील की कि आप लोग नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाइए।

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अब पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू कह रहे हैं कि भारत सरकार पाक के साथ लगनेवाले बोर्डर खोल दे ताकि अधिक से अधिक व्यापार होने लगे।

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क्या सिद्धू को व्यापार बढ़ने के नतीजे

मालूम हैं ?

अधिक व्यापार यानी पाक व्यापारियों के पास अधिक पैसे।

नतीजतन उन पैसों में से वे व्यापारी भारत में आतंक

तेज करेंगे और इस देश में निजाम ए मुस्तफा कायम करने की और तेज कोशिश करंेगे।

उनका लक्ष्य है कि पहले कश्मीर पर कब्जा किया जाए फिर भारत के कुछ अन्य राज्यों पर।यह और बात है कि वे अपने लक्ष्य को पा सकेंगे या नहीं।

पर आश्चर्य है कि भारत के अधिकतर तथाकथित सेक्युलर दलों व बुद्धिजीवियों के

लिए जफर अब्बास जैसे लोगों की इस देश में बड़े पैमाने पर उपस्थिति व सक्रियता कोई समस्या ही नहीं।इस पर वे न तो कोई बयान देते हैं और न लेख लिखते हैं।लिखते और बोलते भी हैं तो वे इसके लिए भारत सरकार आदि को ही दोषी ठहराते हुए।

यह इस देश का दुर्भाग्य है।यह दुर्भाग्य कोई नया नहीं है।

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10 दिसंबर, 21  

  


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