नरेंद्र मोदी सरकार के किसी मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के सबूत खोजकर कोर्ट में केस क्यों नहीं कर पा रहे हैं डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी या कपिल सिब्बल ?
जबकि, अदमनीय स्वामी जी
इन दिनों मोदी सरकार के सख्त विरोधी हैं।
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डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने तो जयललिता,ए.राजा-कोनीमोझी
--नेशनल हेराल्ड मामलों में किसी सरकार की मदद के बिना ही कोर्ट में केस करके सफलता पा ली।वैसा करके स्वामी ने देश का भला किया था।
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सुरेंद्र किशोर
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अस्सी के दशक में तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि केंद्र सरकार दिल्ली से 100 पैसे भेजती है किंतु जनता तक उसमें से सिर्फ 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं। यानी 85 पैसे
बिचैलिये खा जाते हैं।
राजीव गांधी ने तब सत्ता के दलालों के खिलाफ अभियान चलाने की जरूरत बताई थी।पर,बाद में वे खुद ही बोफोर्स घोटाले में फंस गये।
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अब आप ही अनुमान लगाइए कि सौ पैसे को घिस कर 15 पैसे बना देने के लिए प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी में से कौन कितना जिम्मेदार थे ?नेहरू सरकार ने आजादी के तत्काल बाद ही जीप घोटाले से शुरूआत करके घोटालों की नींव डाल दी थी।जीप घोटाले को कार्य रूप देने वाले कृष्ण मेनन को नेहरू ने मंत्री बना कर प्रमोशन दे दिया था।
याद रहे कि नेहरू के शासनकाल में ही यानी
सन 1963 में ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष डी.संजीवैया ने इन्दौर के अपने भाषण में यह कहा था कि ‘‘वे कांग्रेसी जो 1947 में भिखारी थे, वे आज करोड़पति बन बैठे।’’
गुस्से में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि ‘‘झोपड़ियों का स्थान शाही महलों ने और कैदखानों का स्थान कारखानों ने ले लिया है।’’
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यह अकारण नहीं है कि आजादी के 22 साल बाद भी सन 1969 में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को ‘गरीबी हटाओ’ का नारा देना पड़ा था।
यदि सौ सरकारी पैसों में से कम से कम 80 पैसे भी सरजमीन पर खर्च हुए होेते तो 22 साल की आजादी के बाद भी गरीबी बनी नहीं रहती जिसे हटाने के नाम पर इंदिरा गांधी पर जनता से सन 1971 के लोक सभा चुनाव में
वोट ले लिये ?
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एक खबर के अनुसार मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्रित्व काल में कुल मिलाकर करीब 16 लाख करोड़ रुपए के घोटाले हुए।
उस मंत्रिमंडल के सिर्फ एक सदस्य पर आरोप है कि उसने भ्रष्टाचार से कमाये पैसों से छह देशों में अपने व परिवार के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपए की निजी संपत्ति खरीदी।वह पूर्व मंत्री अभी जमानत पर है।
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इधर 30 दिसंबर 23 को एक अखबार ने यह खबर दी कि मोदी सरकार के 10 वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़कर तीन गुना होने की उम्मीद है।याद रहे कि मोदी राज में भी सरकारी भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ है,पर कम जरूर हुआ है।उसी कारण राजस्व बढ़ रहा है।
इस बीच मोदी सरकार के किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप के सबूत अब तक न तोे कपिल सिब्बल को मिले और न ही डा.स्वामी को।
इसीलिए वे प्रधान मंत्री या किसी मौजूदा केंद्रीय मंत्री के खिलाफ कोर्ट नहीं जा सके हैं।
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राहुल गांधी यानी कांग्रेस को ‘न्याय योजना’ का गुरु मंत्र देने वाले नोबल विजेता भ्रष्टाचार का किस तरह पक्ष लेते हैं उसका प्रमाण नीचे दिया जा रहा है।--
‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय,शायद भ्रष्टाचार अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था, इसे काट दिया गया है।
मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।.............’’
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--नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,
हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान टाइम्स
23 अक्तूबर 2019
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शासन में भ्रष्टाचार घटने से
कर संग्रह बढ़ जाता है।
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नब्बे के दशक में बिहार सरकार का राजस्व लगभग मात्र दो हजार करोड़ रुपए था जबकि उन्हीें दिनों आंध्र सरकार को कर राजस्व से करीब 6 हजार करोड़ रुपए मिलते थे।
विकास व कल्याण योजनाएं इन्हीं पैसों से ही तो चलते हैं।राज्यों को आम तौर पर अपने राजस्व के अनुपात में ही केंद्रीय सहायता मिलती है।
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11 अप्रैल 24
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