बुधवार, 24 अप्रैल 2024

 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की पुण्यतिथि पर

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( 23 सितंबर, 1908-24 अप्रैल, 1974)

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रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का 24 अप्रैल (1974) की रात को मद्रास के एक अस्पताल में निधन हो गया।

  थोड़ी देर पहले तक वह समुद्र तट पर मित्रों के सामने कविता पाठ कर रहे थे--स्वस्थ और प्रसन्न थे।

   उसके भी पहले वेल्लूर जाने को मद्रास में ठहरे जयप्रकाश नारायण से वह मिल रहे थे और उन्हें एक लंबी कविता सुना रहे थे जो उन्हीं पर लिखी थी।

  एक दिन पूर्व तिरुपति मंदिर में देवमूर्ति को भी उन्होंने तीन बार कविताएं सुनायी थीं-तीनों बार नई रचना करके दर्शन किया था।

  समुद्र तट से लौटे तो सीने में दर्द उठा।

  घरेलू उपचार कारगर न होने पर मित्र रामनाथ गोयनका और गंगा शरण सिंह उन्हें तुरंत अस्पताल ले गये।

  पर तब तक आधे घंटे का ही जीवन शेष रह गया था।

  25 अप्रैल की सुबह 7 बजे लोगों ने आकाशवाणी का समाचार सुना।

  उन्हें अखबार से भी खबर मिल चुकी थी।

परंतु पटना में बहुत कम लोगों को मालूम हो सका कि उनका शव हवाई जहाज में मद्रास से दिल्ली और दिल्ली से पटना पहुंचेगा।

  दिल्ली में हवाई अड्डे पर मद्रास से आये जहाज से निकाल कर ताबूत पटना के जहाज में चढ़ा दिया गया जो छूटने को तैयार था।

  इसी बीच राजनीतिकों ,साहित्यकारों ,मित्रों और परिवार के लोगों ने उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की।

 दोपहर में एक बजे पटना हवाई अड्डे पर साहित्यकारों सहित अन्य नागरिकों के अतिरिक्त मुख्य मंत्री अब्दुल गफूर और विधान सभाध्यक्ष हरिनाथ मिश्र उपस्थित थे।

ताबूत को स्वजनों ने विमान से उतार कर पुलिस वाहन में रखा,राजेंद्र नगर के मकान में उसे लाये।

  दोनों भाई ,पत्नी और सारा परिवार गांव से आ गया था।

 95 साल की मां ने अपने ‘नूनू’ को देखा।

अंतिम दर्शन के लिए लोग आने लगे।

शाम पौने छह बजे अर्थी उठी।

  आगे -आगे जन संपर्क विभाग के वाहन से रामधुन यायी जा रही थी।

रास्ते में हिन्दी साहित्य सम्मेलन भवन में फूल चढ़ाये गये।

  बांस घाट (गंगा किनारे) पर श्मशान का अंधेरा छाया हुआ था।कहीं से गैस बत्ती का इंतजाम किया गया।

  शव चिता पर रखा गया।

बिहार सशस्त्र पुलिस के जवानों ने लास्ट पोस्ट --अंतिम समय का बिगुल -बजाया।

पुत्र केदारनाथ सिंह ने मुखाग्नि दी थी।

कवि के लिए नगर नगर शोक सभाएं जुड़ीं।

प्रधान मंत्री (इंदिरा गांधी)ने कहा, देश का एक अन्यत्तम सृजनशील कलाकार चला गया।

  दिनकर जी निधन से कुछ दिन पहले अपने समकालीन साहित्यकारों ,राजनीतिकों और मनीषियों के जीवन पर एक पुस्तक तैयार कर रहे थे।

आशा है शीघ्र वह प्रकाश में आएगी।

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 साप्ताहिक पत्रिका ‘दिनमान’ ( 5 मई 1974 )के सौजन्य से। 

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24 अप्रैल 2024




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