कैंसर की महामारी को रोकने के लिए
सरकारें चुनाव बाद युद्ध स्तर पर काम करें
अन्यथा,शासकों और उनके परिजन की भी बारी
आने में अब देर नहीं होगी
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--सुरेंद्र किशोर ---
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हाल में यह चिंताजनक जानकारी मिली कि वरिष्ठ भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी कैंसर ग्रस्त हो गये हैं।
ताजा खबर सी.पी.आई.नेता अतुल कुमार अनजान के बारे में आई।
कैंसर से उनका निधन हो गया।
मेरे छोटे सहोदर भाई का गत सात इसी जानलेवा बीमारी से निधन हुआ।
सर्वाधिक दर्दनाक बात यह है कि कैंसर से होने वाले भीषण दर्द के निवारण के लिए किसी दर्दनाशक दवा का अब तक आविष्कार ही नहीं हुआ है।
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कैंसर के कई कारण होते हैं।
पर,खाद्य और भोज्य पदार्थ में मिलावट एक बड़ा कारण है।
खेतों में धुआंधार रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल से स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है।
(हरित क्रांति ने हमें बर्बाद कर दिया।)
मिलावट के खिलाफ सरकारों को चाहिए कि वे चुनाव के बाद सघन अभियान चलाएं।पुलिस की मौजूदगी में नमूने लिये जाएं और उनकी विश्वस्त प्रयोगशाला में जांच कराई जाए।
सिर्फ फूड इंस्पेक्टरों पर सरकार भरोसा न करे।
यदि कोई इस्पेक्टर चाहे भी तो वह रसीद के साथ खाद्य-भोज्य पदार्थ के नमूने नहीं ले सकता।
उन्हें मारकर भगा दिया जाएगा।इसीलिए वे सह अस्तित्व की रणनीति अपनाते हैं।
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स्थिति ऐसी गंभीर हो चुकी है कि आज बाजारों में कौन सा पदार्थ मिलावट रहित है,यह नहीं कहा जा सकता।
मिलावट के खिलाफ जांच के लिए तैनात सरकारी एजेंसियों में भारी भ्रष्टाचार है।
पूरी व्यवस्था ने मिलावटखोरों को हमें तड़पा -तड़पा कर मारने का अघोषित लाइसेंस दे रखा है।
इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस समस्या की व्यापकता के अनुपात में सजाएं नाम मात्र की ही हो पाती हैं।
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बिहार सहित देश के 10 राज्यों में कैंसर के मरीज अधिक हैं।
2023 में बिहार में एक लाख नये कैंसर मरीजों का पता चला।
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इस तरह हो रहा है मानव शरीर के साथ खिलवाड़ !
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‘‘1.-बिक्रेता गण सब्जियों की ताजगी बरकरार रखने अथवा उनके परिरक्षण के लिए उन्हें कीटनाशकों में डूबोते हैं।
तेलों और मिठाइयों में वर्जित पदार्थों की मिलावट की जाती है।
2.-सब्जियों और दूसरे खाद्य पदार्थ को धोना फायदेमंद है।लेकिन पकाने से विषैले अवशेष बिरले ही खत्म होते हैं।
निगले जाने के बाद छोटी आंत कीटनाशकों को सोख लेती हैं।
3.-शरीर भर में फैले बसायुक्त उत्तक इन कीटनाशकों को जमा कर लेते हैं।इनसे दिल,दिमाग,गुर्दे और जिगर सरीखे अहम अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।
(-इंडिया टूडे हिंदी-15 जून, 1989)
(यह खबर पुरानी है।आज तो हालात और भी बिगड़ चुके हैं।
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अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में सरकार ने संसद में कहा था कि अमेरिका की अपेक्षा हमारे देश में तैयार हो रहे कोल्ड ड्रिंक में
रासायनिक कीटनाशक दवाओं का प्रतिशत अधिक है।
केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि यहां कुछ अधिक की अनुमति है।(क्यों भई ?)
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खुद वाजपेयी जी को ,जब वे प्रधान मंत्री थे, पटना हवाई अड्डे पर जो बोतलबंद पानी परोसा जाने वाला था,वह अशुद्ध पाया गया था।
ऐसी ही घटना मनमोहन सिंह के साथ कानपुर में हुई थी जब वे प्रधान मंत्री के रूप में वहां गए थे।
यानी, प्रधान मंत्री तक मिलावटखोरों की पहुंच है।
वे सिर्फ इसलिए बच पा रहे हैं क्योंकि उन्हें परोसने से पहले उसकी जांच का प्रावधान है।
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एक ताजा खबर के अनुसार, इस देश में बिक रहे 85 प्रतिशत दूध मिलावटी है।
जितने दूध का उत्पादन नहीं है,उससे अधिक की आपूत्र्ति हो रही है।
सवाल है कि इस देश में अन्य कौन सा खाद्य व भोज्य पदार्थ कितना शुद्ध है ?
यह जानलेवा समस्या बहुत पुरानी है।
बढ़ती ही जा रही है।
विभिन्न सरकारें लोक स्वास्थ्य की रक्षा के लिए क्या -क्या करती हंै ?
कितने दोषियों को हर साल सजा हो पाती है ?
राज्यों में कितनी प्रयोगशालाएं हैं ?
मिलावट का यह कारोबार जारी रहा तो कुछ दशकों के बाद हमारे यहां कितने स्वस्थ व कितने अपंग बच्चे पैदा होंगे ?
पीढ़ियों के साथ इस खिलवाड़ को आप क्या कहेंगे ?
क्या सबके मूल मंे शासकीय भष्टाचार नहीं है ?
मिलावटखोरों के लिए फांसी की सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए ?
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4 मई 24
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