शुक्रवार, 24 मई 2024

    ग्राम रक्षा दलों का गठन कर उनके प्रधान 

  के पदों पर प्रशिक्षित अग्निवीरों को बैठाओ

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इस तरह खूंखार अपराधियों,आतंकियों और जेहादियों से आम लोगों की रक्षा का प्रबंध संभव हो सकेगा 

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सुरेंद्र किशोर

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प्रशिक्षित अग्निवीरों में से 25 प्रतिशत तो सेना में शामिल कर लिये जाएंगे।पर बचे 75 प्रतिशत क्या करेंगे ?

मेरी राय में उन्हें ग्राम रक्षा के काम में लगाया जाना चाहिए।

आतंकियों,अपराधियों और जेहादियों से देश को जो आंतरिक खतरा उत्पन्न हो गया है,उन खतरों से आम जनता को आखिर कौन बचाएगा ?

हर स्तर पर ग्राम रक्षा दल का गठन हो।

उनके प्रधान के पद पर प्रशिक्षित अग्निवीरों को बैठाया जाए जब तक उन्हें कोई अन्य बेहतर काम नहीं मिल जाता।

हमारे गांव अभी आम तौर पर असुरक्षित हैं।उतने पुलिसकर्मी हैं नहीं।लोगों के पास आत्म रक्षा के लिए हथियारों की भारी कमी है।

सरकारें आम लोगों को हथियार के लाइसेंस देने में काफी 

कड़ाई बरतती है।

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उधर आए दिन अखबारों में यह खबर आती रहती है कि जेहादी संगठन पी.एफ.आई.इस देश के विभिन्न हिस्सों में हथियारबंद कातिलों के दस्ते तैयार कर रहा है।उन्हें हथियार बांटे जा रहे हैं।हथियारों के बल पर पी.एफ.आई.2047 तक इस देश को इस्लामिक देश बना लेना चाहता है।पी.एफ.आई.के राजनीतिक संगठन एस.डी.पी.आई.से इस देश के कई राजनीतिक दलों का तालमेल है।

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28 अक्तूबर, 2023 को यह खबर आई थी कि केरल के इर्नाकुलम में (भरोसा न हो तो गुगल देख लीजिए)बड़ी संख्या में बी.टेक इंजीनियरों ने सरकारी आॅफिसेज के चपरासी के पद के लिए आवेदन दिये।उसके लिए वे साइकिल चलाने का टेस्ट देते फोटो में नजर आ रहे थे।

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न तो उन इंजीनियरों को चपरासी की नौकरी के टेस्ट में कोई जबर्दस्ती बैठा रहा था और न ही भारतीय सेना किसी को जबरन अग्निवीर बना रही है।

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कई देशों में सबके लिए अनिवार्य सैनिक ट्रेंनिंग का प्रावधान है।इस देश में वैसा प्रावधान किया जाये तो इस देश के ‘‘गैर राष्ट्रवादी तत्व’’(राजनीतिक व बौद्धिक तत्व) न जाने कितना बड़ा हंगामा खड़ा कर देंगे !

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24 मई 24

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पुनश्चः

मैंने प्रशिक्षित अग्निवीरों के लिए ग्राम रक्षा दल के गठन का यूं ही अपनी ओर से प्रस्ताव दिया है।

हो सकता है कि भारत सरकार के पास इस बात की योजना पहले से ही हो।संभव है कि कहीं मैंने उस योजना के बारे में कहीं सुना हो और वह मेरे मानस पटल पर बैठ गया हो।

क्योंकि केंद्र सरकार जानती है कि जरूरत के बावजूद इस देश की कुछ शक्तियां यहां अनिवार्य सैनिक शिक्षा का प्रावधान नहीं होने देंगी।

  


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