कश्मीर की (लोकतांत्रिक) जीत हमारी है
अब पश्चिम बंगाल की बारी है !
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सुरेंद्र किशोर
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सन 2017 का एक चित्र और सन 2024 की एक अखबारी खबर।
अंग्रेजी साप्ताहिक आउटलुक(1 मई 2017)में प्रकाशित कश्मीर के पत्थरबाजों का चित्र गौर से देखिए।
उन दिनों ऐसे चित्र अक्सर अखबारों में छपते थे और इलेक्ट्रानिक मीडिया में आते रहते थे।
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26 मई 2024 के दैनिक जागरण की खबर का शीर्षक है--
‘‘बारामुला के बाद अनंतनाग -राजौरी में भी लोकतंत्र का भव्य उत्सव।’’
कश्मीर में आए परिवर्तन को लेकर अब यहां और कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
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उधर ‘कश्मीर’ बनते पश्चिम बंगाल से आए दिन हिंसा के डरावने चित्र आते रहते हैं।
कुछ लोग यह अपशकुन कर रहे हैं कि लगता है कि पश्चिम बंगाल भारत के हाथों से निकलता जा रहा है।घटनाएं व ममता बनर्जी के बयानों से तो यह लगता है कि वह संघीय ढांचे में लोकतांत्रिक तरीके से केंद्र से नहीं लड़ रही हैं,मानो किसी दूसरे देश से युद्ध लड़ रही हैं।
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हालांकि अब देर नहीं होगी।
लोक सभा चुनाव के तत्काल बाद मोदी सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे यदि पश्चिम बंगाल की स्थिति को बिगड़ने से रोकना है तो।
1.- राष्ट्रपति शासन
2.-पश्चिम बंगाल का तीन हिस्सों में विभाजन
और
3-पांच साल के लिए योगी आदित्यनाथ जैसे किसी दृढ निश्चयी राष्ट्रवादी की राज्यपाल पद पर तैनाती।
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27 मई 24
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