लगता है कि कांग्रेस यही चाहती है कि जो गलती
खुद उसने की,वही गलती भाजपा भी करे।
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सुरेंद्र किशोर
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यानी,कांग्रेस चाहती है कि भाजपा न तो भ्रष्टाचारियों पर कोई कार्रवाई करे और न ही
जेहादियों के खिलाफ एक शब्द का भी उच्चारण करे।
यदि भाजपा ने भी वही गलती की होती तो वह आज सत्ता में नहीं होती।
कल जनता उसे सत्ता से हटा देगी,इस बात की कोई गारंटी नहीं।
भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई का नतीजा है कि आज केंद्र सरकार का कर राजस्व सन 2014 की अपेक्षा बढ़कर तीन गुणा हो गया है।बढ़ता ही जा रहा है।
अन्य कामों को छोड़ भी दीजिए तो देश भर में आज बिजली हैं और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज मिल रहा है।
1947 -1985 के काल खंड में कांगेसी सरकारों ने 100 सरकारी पैसों में से 85 पैसों की लूट नहीं करवा दी होती तो 80 करोड़ लोगों को आज अनाज नहीं देना पड़ता।
सिर्फ मनमोहन सिंह सरकार में 16 लाख करोड़ रुपए का घोटाला हुआ।
इस देश की अदालत दोषी होने पर भी किसी प्रधान मंत्री को सजा नहीं देना चाहती अन्यथा अब तक आधे दर्जन पी.एम.सजा पा गये होते।
संभवतः इस देश की अदालत यह महसूस
करती है कि पी.एम.को सजा देने से देश की दुनिया भर में बदनामी होगी।
मोदी सरकार के 10 साल में मोदी या किस मंत्री पर घोटाले का केस चला ?
नहीं चला।क्योंकि उनके द्वारा कोई घोटाला नहीं हुआ।हां,केंद्र सरकार में भ्रष्टाचार जरूर है जिसे रोकने में मोदी सरकार विफल है।वकील अश्विनी उपाध्याय ठीक कहते हैं कि उसके लिए कड़े कानून चाहिए।
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सन 2014 के लोक सभा चुनाव में शर्मनाक पराजय के बाद सोनिया गांधी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए.के.एंटोनी से कहा था कि आप हार के कारणों पर रपट बनाइए।
एंटोनी ने रपट बनाई।
सोनिया जी को दे दी।
उस रपट में अन्य कारणों के साथ- साथ यह भी लिखा गया था कि ‘‘मतदाताओं को, हमारी पार्टी अल्पसंख्यक की तरफ झुकी हुई लगी जिसका हमें नुकसान हुआ।’’
पर कांग्रेस हाईकमान ने एंटोनी की इस मूल बात को भी नजरअंदाज कर दिया।
याद रहे कि कांग्रेस अब भी उसी लाइन पर है।बल्कि अब तो कांग्रेस ने एक अतिवादी मुस्लिम संगठन से अपना संबंध पहले से भी अधिक मजबूत कर लिया।वह संगठन यानी प्रतिबंधित पी.एफ.आई. जिसका राजनीतिक संगठन -एस.डी.पी.आई.है,इस देश को इस्लामिक देश में बदलने के लिए हथियारबंद दस्ते तैयार कर रहा है।कहता है कि हम 2047 तक हम सफल हो जाएंगे।उसें अनेक वोट लोलुप गैर मुसलमान नेताओं का समर्थन जो हासिल हैं।
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इसके बावजूद कांग्रेस चाहती है कि भाजपा नेता पी.एफ.आई.यानी मुस्लिम आतंकवाद की चर्चा तक न करे।
जबकि जनता को बताना मोदी का कर्तव्य है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आ जाएगी तो पी.एफ.आई.का काम आसान हो जाएगा।
जिस तरह ममता बनर्जी सरकार की मेहरबानी से बांग्ला देशी-रोहिंग्या घुसपैठियों का काम आसान हो गया है।
बी.बी.सी.के पूर्व संवाददाता डा.विजय राणा के अनुसार पश्चिम बंगाल के एक बड़े इलाके में कश्मीर जैसी स्थिति पैदा हो चुकी है।संदेशखाली की घटना साफ संकेत दे रही है।
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4 अगस्त, 2005 को सांसद ममता बनर्जी ने नाटकीय ढंग से लोक सभा के स्पीकर के टेबल पर कागज का
पुलिंदा फेंका था।
उसमें अवैध बंाग्लादेशी घुसपैठियों को भारत यानी पश्चिम बंगाल में मतदाता बनाए जाने के सबूत थे।
वाम मोर्चा शासन काल में उनके नाम पश्चिम बंगाल में भी गैरकानूनी तरीके से मतदाता सूची में शामिल करा दिए गए थे।बांग्ला देश की मतदाता सूची में भी उनके नाम थे।इसी का कागजी सबूत ममता के पास था।
ममता ने कहा था कि घुसपैठ की समस्या राज्य में महा विपत्ति बन चुकी है।
इन घुसपैठियों के वोट का लाभ सत्ताधारी वाम मोर्चा उठा रहा है।
ममता ने उस पर सदन में चर्चा की मांग की।
चर्चा की अनुमति न मिलने पर ममता ने सदन की सदस्यता
से इस्तीफा दे देने के अपने निर्णय की घोषणा कर दी थी।
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यह और बात है कि घुसपैठियों पर ममता बनर्जी का रवैया अब पूरी तरह बदल चुका है।क्योंकि अब वे ममता के लिए ‘‘संपत्ति’’ बन चुके हैं।
ममता बनर्जी ने तो घुसपैठियों के वोट के लिए अपने रुख में परिवर्तन कर लिया।क्या नरेंद्र मोदी को भी घुसपैठियों के खिलाफ बोलना बंद कर देना चाहिए ?
यदि मोदी बंद कर देंगे तो उनके दल का भी जनता वही हाल करेगी जो हाल कांग्रेस का कर चुकी है और ममता की पार्टी का इस चुनाव करने वाली है,ऐसी उम्मी की जा रही हैै।
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2017 के आंकड़े के अनुसार इस देश में 5 करोड़ बांग्ला देश-रोहिंग्या घुसपैठिए थे।
अब तक उनकी संख्या दुगुनी हो चुकी होगी।धर्म परिवर्तन और लव जेहाद के जरिए हिन्दुओं की संख्या घटाई जा रही है सो अलग।उसके लिए विदेश से पैसे आ रहे हैं।
हावड़ा रेलवे स्टेश पर किसी भी दिन कोई भी जाकर उन घुसपैठियों की संख्या गिन सकता है।घुसपैठ में बोर्डर सिकुरिटी फोर्स में कई लोग घूसखोर हैं या दोतरफा आक्रमणों से फोर्स डरा हुआ है।
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हाल की खबर है कि ब्रिटेन सरकार अपने देश से हजारों अवैध घुसपैठियों को दो माह बाद से जबरन निकालना शुरू करेगी।
अमेरिका भी यही करेगा।पर भारत ?
भारत के कई भाजपा विरोधी दल यह चाहते हैं कि आने वाले वर्षों में भले देश का एक और बंटवारा करना पड़े,पर अभी घुसपैठिए हमें वोट देकर सत्ता में पहुंचाते रहें।भाजपा इस पर आवाज उठाएगी तो हम कहेंगे कि वह हिन्दू-मुस्लिम कर रही है।
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याद रहे कि घुसपैठियों आदि के कारण देश के इस देश के कई जिलों-इलाकों में
हिन्दू आबादी का अनुपात घटता जा रहा है।जहां मुस्लिम आबादी 40 या 50 प्रतिशत से अधिक हो गई ,वहां कानून का शासन असंभव है।
मुख्य मंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपने शासनकाल में कहा था कि हमारे प्रदेश के सात जिलों में सामान्य प्रशासन अपना काम नहीं कर पा रहा है।उनका यह बयान मैंने जनसत्ता में पढ़ा था।
माकपा के शीर्ष नेताओं ने उन पर दबाव डाल कर बयान वापस करवाया।
पर,इस बीच माकपा को नुकसान हो चुका था।जेहादियों ने करीब 30 प्रतिशत मुसलमान वोट का रुख ममता की ओर कर दिया।
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मोदी सरकार सामान्य व शांतिप्रिय मुसलमानों के खिलाफ नहीं बल्कि जेहादी मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है या आवाज उठा रही है।
हथियारबंद जेहादी संगठन पी.एफ.आई.भी यह मानता है कि उसके साथ अभी 10 प्रतिशत मुसलमान भी नहीं हैं।
पर,शाहीनबाग जैसा धरना कांड करने व जहां -तहां दंगा करने के लिए 5 प्रतिश भी काफी है।
जनता नरेंद्र मोदी को इसीलिए बार -बार प्रधान मंत्री बना रही है और फिर बनाएगी ताकि वे भ्रष्टाचारियों और जेहादियों-घुसपैठियों के खिलाफ तो कार्रवाई करें किंतु शांतिप्रिय मुसलमानों की आर्थिक बेहतरी के लिए काम करें।वे कर भी रहे हैं।इसलिए 2024 भी मोदी का ही है,ऐसा मेरा अनुमान है। सन 1967 से चुनाव देखते रहने का अनुभव मुझे है।उस आधार पर कह रहा हूं।
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4 मई 24
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