शुक्रवार, 3 मई 2024

 हैदराबाद के पास दैनिक मजदूरी कर रहे 

पद्मश्री से सम्मानित मोगुलैया  

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सुरेंद्र किशोर

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भारत के चैथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित दर्शनम मोगुलैया हाल में हैदराबाद के पास एक निर्माण स्थल पर मजदूरी करते देखे गये।

दो साल पहले राष्ट्रपति ने दुर्लभ संगीत वाद्य यंत्र के आविष्कारक 71 वर्षीय मोगुलैया को पद्मश्री से सम्मानित किया था।

इस सम्मान के कारण लंबे समय तक तो वे मीडिया में छाए रहे।

 पर,परिवार के गुजर- बसर के लिए जब काम खोजने लगे उम्रदराज होने के कारण उन्हें कोई ढंग का काम नहीं मिला।

नतीजतन वे मजदूरी कर रहे हैं।

यह खबर आज के टाइम्स आॅफ इंडिया में भी छपी है।

कल्पना कीजिए कि जब कुछ विदेशियों ने यह खबर नेट पर पढ़ी होगी तो भारत और भारत सरकार के बारे में कैसी धारणा बनी होगी !

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इस बीच मोगुलैया के तीन बच्चे बीमारी से गुजर गये।अब भी बड़े परिवार की देखरेख की उन पर जिम्मेदारी है।

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उम्मीद की जानी चाहिए कि लोक सभा चुनाव की आंधी के गंुजर जाने के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जरूर ऐसी विचित्र व विडंबनापूर्ण समस्या के स्थायी निदान के बारे में जरूर कुछ सोचेंगे। ताकि, विदेश में हमारी छवि खराब न हो।

याद रहे कि मोदी राज में ऐसे ही अनेक गरीब,अनाम व साधनहीन किंतु समाज के लिए उपयोगी लोगों को पद्म सम्मान अधिक मिलने लगे हैं।

पहले भी मिलते थे,पर अब ऐसे लोगों को अधिक मिल रहे हैं।

दूसरी ओर , अपना देश तो ऐसा बनता जा रहा है जहां जो जितना बड़ा तिकड़बाज व टैक्स चोर है,उसके पास उतने ही अधिक पैसे हैं।

वैसे लोगों के सामने खर्च करने की समस्या है।

समाज के अधिकतर लोग ,अपवादों को छोड़कर उन्हें ही सलाम करते हैं।

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3 मई 24

 


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