सोमवार, 20 मई 2024

 ईष्र्या और कुंठा !!

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कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता,

कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता !

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निदा फाजली ने इस गीत के जरिए बेचैन लोगों को तसल्ली देने की अच्छी कोशिश की है।

 एक हद तक वे इस काम में सफल भी रहे।

फिर भी राजनीति सहित ऐसे विभिन्न क्षेत्रों के अनेक लोग कुछ खास न पाने या दूसरों की अपेक्षा कम पाने के गम में कंुठित और ईष्र्यालु हुए जा रहे हैं।

खुद नहीं मिला तो कुंठा,दूसरे को मिल गया तो ईष्र्या !

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मैंने पिछले दशकों में विभिन्न क्षेत्रों के अनेक लोगों, खास कर राजनीतिक क्षेत्र के अनेक कंुठित और ईष्र्यालु लोगांे को समय से पहले परलोक सिधारते देखा है।

अरे भाई ,ऊपर के बदले जरा नीचे देखो।

और फिर ‘अमृत’ फिल्म के एक मशहूर गाने के इस मुखरे को ही गुनगुना लो--

‘‘दुनिया में कितना गम है,मेरा गम कितना कम है !.....’’

इससे थोड़ी तसल्ली मिलेगी।

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वैसे विभिन्न क्षेत्रों के ईष्यालुओं और कंुंिठत जन के लिए बड़े पेशेवर चिकित्सकों को भी कुछ सलाह जरूर देनी चाहिए।

ये अलग तरह की बीमारियां हैं।

 कंुठित और ईष्यार्लु होने के बाद , पहले से शरीर में पल रहे किस रोग में बढ़ोत्तरी हो जाती है ? 

कौन सा नया रोग शरीर में घर कर जाता है ?

आदि आदि।

ये सवाल तो हैं।

ईष्र्या-कंुठा से मुक्ति के लिए अलग से किसी टबलेट का इजाद हुआ है क्या ं?

यदि नहीं तो अब होना ही चाहिए।

क्योंकि इस रोग के बढ़ने के संकेत हैं।

 वैसी -वैसी हस्तियां भी इस मर्ज की शिकार हो रही हैं जिनके बारे में पहले सोचा तक नहीं गया था। 

नहीं हो तो कोरोना वैक्सीन की तरह युद्ध स्तर पर इजाद क्यों नहीं हो सकता ?

4 जून के बाद उसकी जरूरत बढ़ जाएगी।

कोरोना  वैक्सीन के साइड इफेक्ट की चर्चा इन दिनों है।

पर,सवाल है कि साइड इफेक्ट किस एलोपैथिक दवा में नहीं होता ?

उसमें भी होगा।

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ईष्र्या-कंुठा-जलन नामक त्रिदोष यदि बुजुंर्ग में है तो उनके बाल -बच्चे उन्हंे जरूर समझाएं।

कहें कि ऐसे मर्ज को दिल से न लगाओ।गंभीर बात है।लाइलाज है।

इससे आपकी आयु कम हो जाएगी तो हमें बड़ी तकलीफ होगी।

वैसे भी ईष्र्या-कुंठा-जलन से तो कोई भौतिक लाभ होता नहीं।

अच्छे-खासे  व्यक्तित्व में भी ओछापन जरूर आ जाता है।अपना अच्छा-खासा स्वास्थ्य गला लेते हैं सो अलग।

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17 मई 24 

  


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