किसी बड़ी लकीर के पास ही
उससे भी बड़ी लकीर खींच देना
---------
सुरेंद्र किशोर
---------
मेरे छात्र जीवन में मेरे पिता अक्सर एक बात मुझसे कहा करते थे--
‘‘यदि तुम कहीं कोई बड़ी लकीर देखों तो उसे छोटा करने की कोशिश मत करो।
उसके पास में अपनी बड़ी लकीर खींच दो।
वह अपने-आप छोटी हो जाएगी।’’
यानी, किसी की आलोचना करके या उसे नीचा दिखाकर उसे खुद से छोटा साबित करने की कोशिश मत करो।
उसका कोई लाभ नहीं होगा।
बल्कि खुद अपने प्रयासों ,मेहनत और सत्कर्मों के जरिए उससे भी बड़ा बनने की कोशिश करो।
उनके अनुसार, यह कोई कठिन काम नहीं है।तुम जरूर सफल होगे।
परम्परागत विवेक से लैस पिता की यह बात मैंने याद रखी।
मुझे उसका लाभ भी हुआ।
----------------
जब आप किसी की उचित-अनुचित व्यक्तिगत आलोचना या निन्दा करते हैं तो सामने वाला फिलहाल तो आपकी बातों में बड़ा रस लेता है।
पर, कई दफा खुद वह उसे अच्छा नहीं मानता।
कई बार तो आपकी निन्दापूर्ण टिप्पणियों को उस व्यक्ति तक पहुंचा देता जिसकी आप निन्दा कर रहे होते हैं।
-------------
15 मई 24
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें