शनिवार, 25 मई 2024

 जब उनके राष्ट्रहित की बात आती है तो इजरायल और चीन किसी दबाव में नहीं आते।मोदी सरकार भी उसी राह पर है।

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सुरेंद्र किशोर

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इजरायल ने युद्ध रोकने के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया है।

इजरायल ने न्यायालय को साफ-साफ कह दिया है कि ‘‘हमास से अपने देश की रक्षा का हमें हक है।’’(दुर्भाग्य है कि भारत के जेहादी संगठन पाॅपुलर फ्रंट आॅफ इंडिया के प्रति मोदी सरकार और यहां के कुछ सेक्युलर दलों की राय अलग- अलग हैं।)

इससे पहले इजरायल, अमेरिका तथा कुछ अन्य देशों की ऐसी ही सलाह को ठुकरा दिया चुका है।

  इजरायल ने यह भी कहा है कि ‘‘हमास के खात्मे तक हमारा युद्ध जारी रहेगा।’’

इजरायल जेहादी संगठन हमास की मनोवृति को अच्छी तरह जानता है।इजरायल समझता है कि चाहे हम नहीं रहेंगे या हमास।

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इसी तरह के करीब 2 करोड़ जेहादियों से चीन सरकार शिनजियांग प्रांत में लंबे समय से संघर्षरत है।

चीन सरकार ने एक बार कहा था कि जेहादियों के खिलाफ सफल युद्ध कोई लोकतांत्रिक देश नहीं लड़ सकता है।(क्या  चीन का इशारा भारत की ओर था ?)यानी,चीन का यह आशय था कि सिर्फ चीन जैसा एकाधिकारवादी देश ही लड़ सकता है जहां न तो नेताओं को वोट बैंक की चिंता है और न मीडिया से कोई डर है।

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सन 2018 में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि ‘‘चीन ने अतिवाद विरोधी केंद्रों में कम से कम 10 लाख उइगरों (अतिवादी उइगर मुसलमानों) को हिरासत में लिया।

  शिनजियांग प्रांत के बड़े पैमाने पर मुस्लिम जातीय समूह के साथ चीन सरकार का व्यवहार बीजिंग के साथ अंतरराष्ट्रीय तनाव का स्रोत बन गया है।चीन इस बात पर जोर देता है कि वह नरसंहार के आरोप के आरोपी चरमपंथ से निपट रहा है।’’

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दुनिया देख रही है कि किसी मुस्लिम देश की हिम्मत नहीं है कि वह चीन की इस दमनकारी नीति के खिलाफ आवाज उठाये।

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जो काम इजरायल और चीन जिस कड़ाई से कर पा रहा है,वही काम भारत क्यों नहीं कर पा रहा है ?

क्योंकि चीन ताकतवर है और इजरायल राष्ट्रवादी देश है।

हमारे देश को कुछ लोग धर्मशाला समझते हैं।

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हमारे देश में क्या होता रहा ?

2001 में जब जेहादियों ने संसद भवन पर हमला किया तो हमारी सेनाएं पाक सीमा पर भेज दी गयी थी।

पर, किसी न किसी दबाव में आकर अटल सरकार ने उसे वापस बुला लिया।

तब पाक की सेना भी भारतीय सीम पर पहुंचा दी गयी थी।

उसे भी वापस किया गया।

उस पर भारत के ही एक बड़े सेक्युलर नेता ने बयान दिया--‘‘पाक सरकार को अपनी सेना की आवाजाही में जो अनावश्यक खर्च करना पड़ा है,उसकी भरपाई भारत सरकार करे।’’ 

क्या दुनिया में कोई ऐसा देश है जहां इस सेक्युलर नेता जैसा नेता बसता है ?

वैसे नेता आज भी भारत में सक्रिय हैं।

शायद इस लोस चुनाव रिजल्ट के बाद उन्हें अपनी स्थिति पर विचार करना पड़ेगा।

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2008 में जब पाक जेहादियों ने मुम्बई पर हमला करके सैकड़ों लोगों को मार दिया तो मनमोहन सरकार को सलाह दी गई कि वह पाक के खिलाफ कार्रवाई करे।उस पर कांग्रेस ने कहा कि 2009 में लोक सभा चुनाव है।हमला करने पर हमें मुस्लिम वोट नहीं मिलेंगे।

इतना ही नहीं, एक कांग्रेस नेता ने कह दिया कि मुम्बई पर हमला आर एस एस ने करवाया।इस आशय की किताब लिखी गयी जिसका विमोचन दिग्गी राजा नं किया था।

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मोदी के सत्ता में आने के बाद पुरानी स्थिति में तेजी से बदलाव आ रहा हैं ।हमलों का यहां से जवाब भी मिल रहा है।क्योंकि भारत का कर राजस्व गत दस साल में बढ़कर तीन गुणा हो चुका है। बढ़ता जा रहा है।क्योंकि भ्रष्टाचार कम हुआ है। अमीर,अमीर होता देश किसी अन्य देश के दबाव में नहीं आता।

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25 मई 24  


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