सोमवार, 24 अगस्त 2020

  बिहार में बिजली बढ़ी,स्मार्ट फोन बढ़े और 

 उसके साथ जानकारी और जागरूकता भी।

   --सुरेंद्र किशोर-

बिहार में सन 2005 में मात्र 700 मेगावाट बिजली की 

आपूत्र्ति हो रही थी।

  आज राज्य में 5932 मेगावाट बिजली की आपूत्र्ति 

हो रही है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार अब बिहार के हर घर में बिजली

उपलब्ध है।

  सारण जिला स्थित मेरे पुश्तैनी गांव में 2009 में ही बिजली 

पहुंचाई जा सकी।

बिजली रहने और नहीं रहने के बीच कितना फर्क होता है,इस पर अधिक कुछ कहने की जरूरत नहीं है।

लोगबाग महसूस करते हैं।उसका लाभ उठाते हैं।

  पर,एक खास फर्क आया है जिसका लाभ और हानि दोनों है।

  अब गांवों में भी अपना मोबाइल-स्मार्ट फोन चार्ज करने के लिए किसी को पास के बाजार में नहीं जाना पड़ता।

बिहार जैसे विकासशील राज्य में आप आज जहां भी जाइए,लोगों के हाथों में स्मार्ट फोन देखिएगा।

  अधिकतर युवजन उसमें मग्न रहते हैं।

गांवों के खेतों की डरेर पर बैठकर निम्न मध्यम वर्ग के युवक भी स्मार्ट फोन में व्यस्त रहते हंै। 

  इसके लाभ कम, हानि अधिक है।

घर के कम उम्र बच्चे भी मां-बाप से छिप कर लंबे घंटे तक स्मार्ट फोन देख रहे हैं।

उन  बच्चों की कोमल आंखें  खतरे में हंै।

हां, वे बुजुर्गों के लिए , जिनसे बातचीत करने वालों की कमी रहती है, स्मार्ट फोन अच्छे साथी की भूमिका निभा रहे हैं।

 लोगबाग अपनी -अपनी आदत-पसंद  के अनुसार इस यंत्र का उपयोग कर रहे हैं।

अनेक लोगों का अकेलापन कट रहा हैं।

जिनकी जीवन साथी ,साथ छोड़ गई हैं,उनके लिए खास यह वरदान है।

  गर्दन टेढ़ी करके अनिश्चित काल तक बिना पलक झपकाए स्मार्ट फोन देखने वाले लोग दो तरह के चिकित्सकों की व्यस्तता व आय बढ़ा रहे है--आंख  और हड्डी के डाक्टरों  की ।

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पुनश्चः

स्मार्ट फोन के जरिए बिहार के गांव-गांव में भी राजनीतिक -गैर राजनतिक सूचनाओं का विस्फोट हुआ है।

अधिकतर लोग अपने स्मार्ट फोन पर सारे नेताओं के भाषण सुन रहे हैं,उन्हें देख रहे हैं और अपने -अपने तरीके से दलों व नेताओं के बारे में अपनी राय बना रहे हैं। 

बिहार तो पहले से ही राजनीतिक रूप से जागरूक प्रदेश रहा है।पर हाल में जानकारी -जागरूकता और भी बढ़ी है। 

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--सुरेंद्र किशोर--23 अगस्त 20

  

  


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