स्वच्छ भारत अभियान की राह की बाधाएं !
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‘‘.......असल में (इस देश के ) शहरों में सीवरों और नालों की सफाई में भ्रष्टाचार का मुद्दा है,
जिस पर कोई ध्यान नहीं देता।
बरसात से पूर्व नालों और नालियों की सफाई का नाटक देश भर में होता है,
बावजूद इसके पहली ही बरसात में सारे इंतजामों की पोल खुल जाती है।
लगभग हर राज्य में एक जैसी नकारा व्यवस्था देखने को मिलती है।
नाला-नालियों की कायदे से सफाई न होने से उनमें कूड़ा पड़ा रहता है।
जब बारिश का पानी उसमें जाता है तो नाला उफना जाता है।
उससे उसका पानी शहर की गलियों में बहने लगता है।.....’’
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---राजेश माहेश्वरी, दैनिक आज, 24 जुलाई 20
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प्रधान मंत्री की सराहनीय पहल
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया है।
निःसंदेह यह एक बहुत ही अच्छी पहल है।
देश के नगरों -महा नगरों की स्वच्छता की राह में जो सबसे बड़ी बाधा है,उसकी ओर मैं ध्यान खींचना चाहता हूं।
देश में जहां-जहां भाजपा के हाथों में नगरपालिकाओं और महानगर परिषदों की कमान हंै,उन्हें प्रधान मंत्री एक सख्त निदेश दें।
(यह मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मुम्बई महापालिका का भ्रष्टाचार रोकना मोदी जी के भी वश में नहीं होगा।
क्योंकि वह शिवसेना के कब्जे में हैं।
वहां के लोग हर साल भीषण जल-जमाव की पीड़ा झेलते हैं फिर भी वे शिवसेना को ही जिताते हैं।
उसके कारण अलग हैं।)
वहां सिर्फ सफाई मजदूरों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करा दें तो बहुत फर्क पड़ेगा।
इस तरह भाजपा शासित स्थानीय निकाय अन्य दलों व लोगों द्वारा शासित निकायों के लिए आदर्श उपस्थित कर सकेंगे।
साथ ही, देश भर के सफाई मजदूरों के मेहनताने का भुगतान सिर्फ चेक से करवाएं ।
इससे जाली मजदूरों के नाम पर वैसे लूटने की पुरानी परंपरा समाप्त हो जाएगी।
भाजपा एक अनुशासित पार्टी है।
निकायों से जुड़े जो भाजपा नेतागण प्रधान मंत्री के निदेश को लागू कराने में यदि आनाकानी करें, तो उन्हें अगली बार निकाय चुनाव न लड़ने दें।दिल्ली महापालिका को नमूना के रूप में पेश करें।उससे देश भर में नया संदेश जाएगा।
जहां सफाई मजदूरों की संख्या कम है,उसे शीघ्र पूरा कराएं।
टैक्स वसूली में भ्रष्टाचार रोक कर निकायों के लिए पर्याप्त साधन जुटाए ही जा सकते हैं।
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---सुरेंद्र किशोर
-10 अगस्त 20
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