मंगलवार, 11 अगस्त 2020

 पश्चिम बंगाल के किसानों को ममता

बनर्जी ने पीएम सम्मान निधि के 8400 करोड़

रुपए क्या इसलिए नहीं लेने दिए ? !!

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सुरेंद्र किशोर 

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पी.एम. किसान सम्मान निधि के 8400 करोड़ रुपए से 

अब तक पश्चिम बंगाल के किसान वंचित रहे हैं।

  जबकि, इस योजना के तहत देश भर के किसानों को अब तक 92 हजार करोड़ रुपए मिल चुके हैं।

हर किसान को केंद्र सरकार हर साल तीन किश्तों में 6 हजार रुपए देती है।

आने वाले वर्षों में यह राशि बढ़ भी सकती है।

  अब सवाल है कि पश्चिम बंगाल सरकार इस योजना की राशि केंद्र से क्यों नहीं स्वीकार कर रही है ?

मेरी समझ में सिर्फ एक बात आती है।

आपकी समझ या जानकारी में कोई और बात हो तो मेरी जानकारी बढ़ाइए।

यह राशि उसी को मिलेगी जिसके पास अपने नाम से जमीन का कोई टुकड़ा हो--छोटा या बड़ा।

करोड़ों बंगला देशी घुसपैठियों  के पास अपनी जमीन तो है नहीं।

हालांकि मतदाता सूचियों मंे उनके नाम दर्ज हैं ।

 पहले वे वाम मोर्चा के और अब ममता बनर्जी के स्थायी व ठोस वोटर हैं।

वाम मोर्चा के शासनकाल में सन 2005 में ऐसी ही मतदाता सूची को लोक सभा में ममता ने फाड़ा था और विरोधस्वरूप संसद की सदस्यता से इस्तीफा भी दे दिया था।

हालांकि अब इस पर उनकी राय बिलकुल उल्टी है।

अब वह कहती हंै कि यदि बंगलादेशियों को निकालने की कोशिश हुई तो खून-खराबा होगा।

  लगता है कि आज ममता बनर्जी की यह समझ है कि जब उन घुसपैठियों को निधि नहीं मिल सकेगी तो किसी और को मिले ना मिले कोई  फर्क नहीं पड़ता।

  एक बात और ।

जब प.बंगाल में किसानों को सूची बनेगी तो बड़ी संख्या में लोग छूट जाएंगे।

इस तरह बंगलादेशियों की पहचान और भी स्पष्ट हो जाएगी।

यह समस्या राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर सतह पर आ जाएगी।एन.आर.सी.की जरूरत महसूस होने लगेगी।

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इस निधि को प.बंगाल में न बंटने देने के कारण बंगलादेशी घुसपैठियों की भीषण समस्या का पता चलता है।

साथ ही एन.आर.सी.की जरूरत का भी।

 यानी एन.आर.सी.-सी.ए.ए. यदि देर- सवेर कड़ाई से लागू नहीं होगा तो यह देश नहीं बचेगा।

बचेगा तो मौजूदा स्वरूप में तो बिलकुल नहीं।

उससे हमारी अगली पीढ़ियों को अपार कष्ट होगा।

इस बीच तो ‘वोट बैंक के सौदागर’ नेतागण तो इस दुनिया से उठ चुके होंगे।

उन्हें अगली पीढ़ियों की नहीं बल्कि मौजूदा वोट व सत्ता के बारे में चिंता है।

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किसी ने ठीक ही कहा था कि 

‘नेता’ आज के बारे में सोचता है।

किंतु ‘स्टेट्समैन’ अगली पीढ़ियों के बारे में सोचता है।

अब आप अनुमान लगा लीजिए कि अपने देश में आज नेता कितने हैं और स्टेट्समैन कितने ?

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सुरेंद्र किशोर

11 अगस्त 20   


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