को बड़ -छोट कहत अपराधू !
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बात तब की है जब चीन, जापानी साम्राज्यवाद के खिलाफ लड़ रहा था।
कम्युनिस्ट सुप्रीमो माओ त्से तुंग ने चीन के राष्ट्रवादी शासक चांग काई शेक को संदेश भेजा,
‘‘अभी हमलोग मिलकर जापानियों से लड़ लें।
आजादी के बाद फिर हमलोग आपस में तय कर लेंगे कि चीन की सत्ता किसके हाथ में आएगी।’’
इसके जवाब में चांग काई शेक ने कहा कि
‘‘जापानी साम्राज्यवाद चर्म रोग है और कम्युनिस्ट हृदय रोग।
हम हृदय रोग को कैसे स्वीकार कर सकते हैं ?’’
उसी तरह मेरी समझ से आज भारत के लिए चीन चर्म रोग है।
किंतु पाकिस्तान व उसके भारतीय समर्थक हृदय रोग।
क्योंकि चीन हमारी सीमा की जमीन हड़पना चाहता है।
दूसरी ओर,पाकिस्तान देसी -विदेशी जेहादियों व उनके समर्थकों के बल पर भारत में इस्लामिक शासन कायम करने की कोशिश में लगा हुआ है।
जो लोग कहते हैं कि चीन पाक की अपेक्षा हमारे लिए अधिक खतरनाक है,उनसे मैं असहमत हूं।
मेरी समझ से दोनों खतरनाक हैं।
किंतु पाक कुछ अधिक ही खतरनाक है।
क्योंकि इस देश के भीतर चीन की अपेक्षा पाक के एजेंट काफी अधिक हैं।
बहुसंख्यक समुदाय में भी।
वोट के लिए।
वे अधिक सक्रिय भी हैं।टी.वी.चैनलों पर भी आकर वे अपनी मंशा जाहिर करते रहते हैं।
दोनों से लड़ने के लिए हमें सरकारी भ्रष्टाचार पर निर्ममतापूर्वक रोक लगा कर अधिक से अधिक साधन जुटाने पड़ंेगे।
हथियार ,सैनिक, पुलिस और खुफिया तंत्र
को काफी मजबूत करना होगा।
आतंकवादियों के खिलाफ सामान्य कानून के तहत निपटना मुश्किल है।
देश के भीतर के भ्रष्ट लोगों के खिलाफ भी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई करनी होगी न कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत।
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--सुरेंद्र किशोर-26 अगस्त 20
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