‘कोरोना’ की चेतावनी--मुम्बई जैसे महानगरों
पर से आबादी का बोझ घटाना अत्यंत जरूरी
..............................................
हिन्दी फिल्म-धारावाहिक निर्माण स्थल
हिन्दी प्रदेश में स्थानांतरित हो
इससे बोझ घटाने की शुरूआत भी हो जाएगी
......................................................
हिन्दी फिल्मों व धारावाहिकों का निर्माण स्थल अब मुम्बई
से हटाकर किसी हिन्दी प्रदेश में जल्द से जल्द स्थापित कर दिया जाना चाहिए।
इसके लिए हिन्दी फिल्मों के नामी -गिरामी रहे बुजुर्ग अभिनेतागण ऐतिहासिक भूमिका निभा सकते हैं।वे मार्ग दर्शक काम कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में मराठी और गुजराती फिल्में जरूर बनें।
वैसे भी घनी आबादी वाले महानगरों पर से आबादी का बोझ घटाने का संदेश ‘कोरोना’ ने दे ही दिया है,यदि आप उस संदेश को ग्रहण करना चाहें तो ।
नहीं ग्रहण करेंगे तो
पछताने सिवा कोई चारा भी नहीं रहेगा।
क्योंकि यह तय नहीं कि निकट भविष्य में कोरोना
जैसी कोई अन्य महा विपत्ति नहीं ही आएगी।
..............................
बिहार के अगिया वैताल नेता व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने तो सुशांत सिंह राजपूत के हत्यारों के नाम भी जाहिर कर दिए हैं।
मैं उतनी जल्दीबाजी में नहीं हूं।
पर, मेरा भी यह कहना है कि सुशांत के इंतकाल को लेकर अनेक सवाल अनुत्तरित हंै ।
उनके जवाब सी.बी.आई. जांच से ही मिल सकते हैं।
वह भी तब जब जांच सबसे बड़ी अदालत की निगरानी में हो।
....................
वैसे तो इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट अपने विवेक से निर्णय करेगा,पर यदि वह सी.बी.आई.जांच के पक्ष में निर्णय करता है तो उसे साथ- साथ एक काम और भी करना चाहिए।
अदालत संदिग्धों की नार्को, पाॅलीग्राफ व ब्रेन मैपिंग जांच की भी अनुमति दे दे।
क्योंकि अधिकतर सबूत मिट चुके हैं या मिटाए जा चुके हैं।
.......................
यदि सुप्रीम कोर्ट अदालती निगरानी सहित सी.बी.आई.जांच
की अनुमति नहीं देता है तो फिर हिन्दी फिल्मों का काम मुम्बई से समेट कर किसी हिन्दी राज्य में ले जाने की शुरूआत जल्द से जल्द ही कर देनी चाहिए।
अन्यथा, ...........!!!!!
......................................
सुरेंद्र किशोर - 4 अगस्त 20
पर से आबादी का बोझ घटाना अत्यंत जरूरी
..............................................
हिन्दी फिल्म-धारावाहिक निर्माण स्थल
हिन्दी प्रदेश में स्थानांतरित हो
इससे बोझ घटाने की शुरूआत भी हो जाएगी
......................................................
हिन्दी फिल्मों व धारावाहिकों का निर्माण स्थल अब मुम्बई
से हटाकर किसी हिन्दी प्रदेश में जल्द से जल्द स्थापित कर दिया जाना चाहिए।
इसके लिए हिन्दी फिल्मों के नामी -गिरामी रहे बुजुर्ग अभिनेतागण ऐतिहासिक भूमिका निभा सकते हैं।वे मार्ग दर्शक काम कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में मराठी और गुजराती फिल्में जरूर बनें।
वैसे भी घनी आबादी वाले महानगरों पर से आबादी का बोझ घटाने का संदेश ‘कोरोना’ ने दे ही दिया है,यदि आप उस संदेश को ग्रहण करना चाहें तो ।
नहीं ग्रहण करेंगे तो
पछताने सिवा कोई चारा भी नहीं रहेगा।
क्योंकि यह तय नहीं कि निकट भविष्य में कोरोना
जैसी कोई अन्य महा विपत्ति नहीं ही आएगी।
..............................
बिहार के अगिया वैताल नेता व पूर्व सांसद पप्पू यादव ने तो सुशांत सिंह राजपूत के हत्यारों के नाम भी जाहिर कर दिए हैं।
मैं उतनी जल्दीबाजी में नहीं हूं।
पर, मेरा भी यह कहना है कि सुशांत के इंतकाल को लेकर अनेक सवाल अनुत्तरित हंै ।
उनके जवाब सी.बी.आई. जांच से ही मिल सकते हैं।
वह भी तब जब जांच सबसे बड़ी अदालत की निगरानी में हो।
....................
वैसे तो इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट अपने विवेक से निर्णय करेगा,पर यदि वह सी.बी.आई.जांच के पक्ष में निर्णय करता है तो उसे साथ- साथ एक काम और भी करना चाहिए।
अदालत संदिग्धों की नार्को, पाॅलीग्राफ व ब्रेन मैपिंग जांच की भी अनुमति दे दे।
क्योंकि अधिकतर सबूत मिट चुके हैं या मिटाए जा चुके हैं।
.......................
यदि सुप्रीम कोर्ट अदालती निगरानी सहित सी.बी.आई.जांच
की अनुमति नहीं देता है तो फिर हिन्दी फिल्मों का काम मुम्बई से समेट कर किसी हिन्दी राज्य में ले जाने की शुरूआत जल्द से जल्द ही कर देनी चाहिए।
अन्यथा, ...........!!!!!
......................................
सुरेंद्र किशोर - 4 अगस्त 20
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें