सी.बी.आई.जांच आखिर हो भी तो कैसे ?
जब जांच के तार्किक परिणति तक पहुंचने से
महाराष्ट्र की राजनीति व मुम्बई फिल्म जगत की
चूलें हिल जाने वाली हो !
--सुरेंद्र किशोर--
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सुशांत सिंह राजपूत की हत्या और उससे पूर्व
की सनसनीखेज घटनाओं का पूरा व सिलसिलेवार विवरण सोशल मीडिया में तैर रहा है।
उसे पढ़ने से यह साफ लग जाता है कि विवरण तथ्यपूर्ण व तार्किक है।
देशहित में अब सी.बी.आई.से इसकी पुष्टि करानी और जरूरी भी है।
यह अकारण नहीं है कि महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री ने जोर देकर कह दिया है कि किसी भी हालत में इस घटना की जांच का भार सी.बी.आई.को नहीं दिया जाएगा।
कैसे दिया जाएगा भई ?
कोई अपनी ही सरकार की चूलें क्यों हिलाना चाहेगा ?
राज्य सरकार मुम्बई फिल्म जगत पर हावी बेलगाम माफिया तत्वों से दुश्मनी क्यों मोल लेगी ?
हां, अब सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी बढ़ गई है।
उसे यह तय करना है कि हत्यारों ,बलात्कारियों और बेलगाम माफियाओं से इस देश को बचाना है या डूबते देखते
रहना है ?
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उच्चस्तरीय साजिश के तहत केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्र को 1975 में दिन दहाड़े समस्तीपुर में मार डाला गया।
मिश्र हत्याकांड की सही जांच हो गई होती तो तब की केंद्र सरकार की चूलें हिल जातीं।
1983 में बिहार विधान सभा सचिवालय की एक महिला स्टाॅफ श्वेतनिशा त्रिवेदी उर्फ बाॅबी की जहर देकर हत्या कर दी गई।
उस केस को भी रफादफा कर दिया गया।
उसकी भी सही जांच हो जाती तो बिहार की राजनीति की चूलें हिल जातीं।
तब एक नेता ने तैश में मुझसे कहा था कि ‘‘आप नक्सलाइट हैं क्या ?
क्यों इस लोकतांत्रिक सिस्टम को बर्बाद करना चाहते हैं ?’’
यानी बाॅबी के गुनाहगारों तक पहुंचने पर लोकतंत्र पर खतरा था।
यह उनकी अतिशयोक्ति नहीं थी।जान लीजिए,उस केस की गंभीरता।
याद रहे कि जिन दो पत्रकारांे की खबरों के आधार पर बाॅबी की लाश कब्र निकाल कर पटना के कत्र्तव्यनिष्ठ एस.एस.पी.
किशोर कुणाल ने जांच शुरू की दी ,उनमें मैं प्रमुख था।
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जब उच्चत्तम स्तर से सी.बी.आई.पर पड़े दबाव के कारण बाॅबी केस को रफा- दफा कर दिया गया तो कुणाल ने कहा था,
‘‘समरथ को नहि दोष गुसाई।’’
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.यदि सुशांत सिंह राजपूत हत्याकांड की सी.बी.आई.से जांच कराने का आदेश सुप्रीम कोर्ट नहीं देगा तो एक बार फिर कहा जाएगा कि
‘‘समरथ को नहि दोष गुसाई।’’
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2 अगस्त 2020
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