हम होंगे कामयाब एक दिन !!
--सुरेंद्र किशोर--
.............................................................
याज्ञवल्क्य ने कहा था कि
‘‘अपराधी कोई भी हो,सजा समान होनी चाहिए।’’
काश ! आजादी के बाद अपने देश में भी ऐसा ही हुआ होता।
पर, इसके बदले हो गया --
‘‘प्रथम ग्रासे , मक्षिका पात !’’
......................................
यह घटना तब की है जब
सरदार पटेल जीवित थे।
एक केंद्रीय मंत्री के पुत्र से उत्तर प्रदेश में एक
हत्या ‘हो गई !’
केंद्रीय मंत्री, त्राहिमाम करते प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के पास गए।
नेहरू ने कोई मदद करने से साफ मना कर दिया।
पर एक अन्य ताकतवर केंद्रीय मंत्री काम आ गए।
पुत्र को जेल से रिहा करवा कर विदेश भेज दिया गया।
भले विदेश जाकर उसने बहुत अच्छा काम किया-लौटकर अपने देश के लिए भी।
पर, उस घटना से यह तो तय हो गया कि आजाद भारत में कानून सबके लिए बराबर नहीं होगा।
2
.......................
आजादी के प्रारंभिक वर्षों में ही नेहरू मंत्रिमंडल के सदस्य सी.डी.देशमुख ने प्रधान मंत्री से कहा था कि मंत्रियों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार की खबरें मिलने लगी हैं।
आप एक ऐसी उच्चस्तरीय एजेंसी बना दें जो भ्रष्टाचार की उन शिकायतों को देखे।
इस पर नेहरू ने कहा कि ऐसा करने से मंत्रियों में पस्तहिम्मती आएगी।
उसका विपरीत असर सामान्य सरकारी कामकाज पर पड़ेगा।
3
........................
जार्ज फर्नांडिस ने आरोप लगाया था कि 1971 के लोक सभा चुनाव में बंबई में मुझे हरवाने के लिए प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने वहां के माफियाओं की मदद ली।
.................................
सन 1962 में जे.बी.कृपलानी को वी.के. कृष्ण मेनन से हरवाने के लिए जवाहरलाल नेहरू ने सिर्फ फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार की मदद ली थी।
(दिलीप कुमार की जीवनी में यह बात दर्ज है।)
पर, उनकी पुत्री और आगे बढ़ गईं।
(नब्बे के दशक में ही वोहरा कमेटी की रपट ने
यह बता दिया था कि हमारे हुक्मरानों ने देश की हालत कैसी बना रखी है !)
इंदिरा जी ने कहा था कि
‘‘मेरे पिता संत थे।
पर,मैं तो राजनेत्री हूं।’’
उनके पिता ने कोई निजी संपत्ति खड़ी नहीं की।
पर इंदिरा जी के वसीयतनामे में (इलेस्ट्रेटेड वीकली आॅफ इंडिया-19 मई, 1985)
मेहरौली के फार्म हाउस के अलावे भी बहुत सी बातें हैं।
अपवादों को छोड़कर आज के नेता तो विंस्टन चर्चिल के शब्दों में ‘‘पुआल के पुतले’’ मात्र हैं !
इस देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार के बारे में
इंदिरा जी ने कहा था कि यह तो वल्र्ड फेनोमेना है।
.....................................
अब आज के नेताओं के बारे में क्या कहना !!!
जब स्वतंत्रता सेनानियों का यह हाल था !
अपवाद पहले भी थे,अपवाद आज भी हैं।
....................................
पर इस बीच देश की हालत क्या बन गई है ?
ऐसे -ऐसे लोग बहुत ताकतवर हो गए
हैं जो पैसे व वोट के लिए देश का सौदा कर रहे हैं।
देश के बचाने व बांटने पर अमादा लोगों के बीच
अघोषित ‘युद्ध’ चल रहा है।
पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद वह तेज होगा।
आजादी के बाद ही देश की ऐसी कमजोर अधारशीला बना दी गई कि लड़ाई अब कठिन हो गई है।
.........................................
यानी, याज्ञवल्क्य तो नहीं बचा सके ,अब शायद भगवान ही बचा लंे अपने देश को तो बहुत है !
देश को बचाने की कोशिश में लगी शक्तियां हांफ रही हैं।
.............................................
---सुरेंद्र किशोर --19 जनवरी 21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें