गुरुवार, 7 जनवरी 2021

       मेरा जीवन संग्राम

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   इस साल से मैं अब किताबों पर काम शुरू कर रहा हूं।

सबसे पहले संस्मरण।

   इसके लिए कई प्रकाशक, मित्र व परिजन बहुत दिनों से सलाह देते आए हैं।

  सबसे पहले हिन्दुस्तान,पटना  के स्थानीय नवीन जोशी ने मेरे भीतर के ‘हनुमान’ को जगाते हुए कहा था कि आपके जीवन के संस्मरण पढ़ जाएंगे।

मेरे सामने समस्या यह थी कि नौकरी-फ्रीलांसिंग के कारण तो परिवार चलता है,किताब लिखने में लग जाऊंगा तो पैसे कहां से आएंगे ?

किंतु मेरे एक अभिभावक सदृश्य शुभचिंतक की सलाह से मैंने करीब 20 साल पहले नगर से दूर अत्यंत सस्ती जमीन खरीद ली थी,वह अब काम आ रही है।

उसे दुर्दिन में बेच देने के लिए ही खरीदा था। 

पहले तो नौकरी थी।

बाद में फ्रीलांसिंग से काम चला।

अब जमीन बेच कर अपना खर्च निकालूंगा।

सरकारी शिक्षिका पत्नी की पेंशन-राशि तो मुख्य आधार है। 

  इस बीच फेसबुक पर आया,यह देखने के लिए भी कि मेरे लेखन में लोगों की कितनी रूचि है।

पता चला कि स्थिति उत्साहबर्धक है।

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इस बीच संस्मरण यानी मेरे जीवन संग्राम की एक झलक कुछ चित्रों के जरिए दिखा देना चाहता हूं।

चित्र नंबर -एक ।यह तब का है जब (1977-83) मैं दैनिक आज,पटना में था।

चित्र नंबर -दो -उस समय (1983-2001) का है जब मैं जनसता का बिहार संवाददाता  था।

चित्र नंबर -3 हिन्दुस्तान,पटना  के समय का है।

वहां मैं 2001 से 2007 तक राजनीतिक संपादक था।

सन 2013 -16 की अवधि में मैं दैनिक भास्कर,पटना में संपादकीय सलाहकार था।

पर,उस समय का चित्र अभी मेरे पास अभी नहीं है।

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मैंने ऊपर जीवन संग्राम क्यों लिखा ?

वह तो मेरे संस्मरण यदि छप सके तो मालूम ही हो जाएगा।

उससे पहले यह बता दूं कि यदि मैंने सस्ती जमीन नहीं खरीद ली होती तो जीवन संग्राम के बदले कठिन जीवन संग्राम लिखना पड़ता।

 बिहार वाणिज्य मंडल के अध्यक्ष रहे  दिवंगत युगश्वर पांडेय ने मुझे सलाह दी  थी कि

पटना से दूर गांव में सस्ती जमीन खरीद लीजिए।

गाढ़े वक्त में वह काम आएगी।

ईश्वर परलोक में उन्हें शांति दें।

वैसे उन अन्य लोगों के लिए भी यह एक संदेश हो सकता है जिन्हें ‘हथलपकी’  की बुरी आदत वाली जिन्दगी मंजूर नहीं है।

जो स्वाभिमानी हैं।

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सुरेंद्र किशोर-3 जनवरी 2021

    


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