जान हथेली पर लेकर पत्रकारिता करने
वाले प्रकाश सिंह की एक और कामयाबी
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--सुरेंद्र किशोर--
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रिपब्लिक टी.वी.चैनल के प्रकाश सिंह ने पटना सिविल कोर्ट में सन 2017 में घूसखोरों के खिलाफ स्टिंग आपरेशन किया था।
नतीजतन देर से ही सही, किंतु घूसखोरी के आरोप में पटना हाईकोर्ट ने वहां के 16 कर्मियों को बर्खास्त कर दिया।
यह प्रकाश के स्टिंग का कमाल रहा ।
कई साल पहले कचहरियों में भ्रष्टाचार के बारे में फरजंद अहमद ने भी इंडिया टूडे के लिए संभवतः पहली बार साहस के साथ विस्तृत रपट लिखी थी।
उस पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं, लोगों को मालूम नहीं हो सका।
अब तो हुई।
यही है इलेक्ट्रानिक मीडिया की ताकत।
पर ताकत के साथ जिम्मेदारी भी बनती है।
उम्मीद की जाती है कि यह नई मीडिया उसका भी ध्यान रखे।
इस देश के अनेक सांसद (सब नहीं) पैसे लेकर गलत काम करते रहते हैं,यह पूरा देश जानता है।साठ के दशक में ही मैंने सुना था कि 60 सांसद एक उद्योगपति के पे-रोल पर हैं।
पर लोकसभा के 10 और राज्य सभा के एक सदस्य की सदस्यता 2005 में तभी समाप्त की गई जब वे एक स्टिंग आपरेशन में रंगे हाथ पकड़े गए।
यदि स्टिंग आपरेशन नहीं होता तो भाजपा के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण भी जेल नहीं जाते।
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यदि स्टिंग आपरेशन से ही भ्रष्टों के खिलाफ निर्णायक व सबक देने लायक कार्रवाई हो पा रही है तो क्यों नहीं कुछ अच्छी सरकारें व अच्छे संगठन व अन्य लोग इसी काम में लग जाते हैं ?!!
भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा तो देश नहीं बचेगा।
क्योंकि रिश्वत लेकर यहां के जयचंदी मानसिकता वाले लोग देसी-विदेशी आतंकियों की भी मदद कर रहे हैं।
आतंकियों-जेहादियों के खिलाफ निर्णायक युद्ध की आशंका को आप अब निराधार नहीं बता सकते।युद्ध की स्थिति में सरकार व नेता को अधिक स्वच्छ होना होगा।
1993 में मुम्बई को दहलाने के लिए जो खतरनाक विस्फोटक दाऊद ने भिजवाया था,उसको मुुम्बई समुद्र किनारे से महानगर तक टपाने के लिए कस्टम के लोगों ने भारी रिश्वत ली थी।
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मुख्य मंत्री बनने के तत्काल बाद नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से लोगों से अपील की थी कि वे सरकारी दफ्तरों में चल रही घूसखोरी के खिलाफ स्टिंग आपरेशन करें।
पर, उसका ‘बासा’ ने प्रेस कांफं्रेस करके विरोध कर दिया।
देश के प्रधान मंत्री और बिहार के मुख्य मंत्री की प्रवृत्ति नाजायज तरीके से निजी संपत्ति बढ़ाने की कत्तई नहीं है।
वे चाहते भी है कि भ्रष्टाचार घटे।
फिर भी, इस देश में भ्रष्टाचार कम नहीं हो पा रहा है।
अब तो एक ही उपाय नजर आ रहा है।
कोई मौजूदा या भावी संगठन इस बात के लिए कमर कसे कि वह खतरा उठाकर भी स्टिंग आपरेशन व्यापक रूप से चलाएगा।
अब तो तकनीकी भी बेहतर हो गई।
शायद तभी भ्रष्टाचार कम होगा।
पटना सिविल कोर्ट के कर्मियों की बर्खास्तगी के बाद भी भ्रष्टाचार रुक जाएगा,ऐसा मान लेना नादानी होगी।
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यदि कोई राजनीतिक दल स्टिंग आपरेशन करे या करवाए तो उसे चुनाव में वोट की कमी नहीं रहेगी।
जातीय व सांप्रदायिक वोट पर उसे तब निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
यदि किसी सरकार का भ्रष्टाचार निरोधक निकाय अपना स्टिंग शाखा खोले तब तो कमाल हो सकता है।
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खैर, अब सिनियर एडीटर प्रकाश सिंह ,रिपब्लिक टी.वी.और उसके कत्र्ताधत्र्ता अदमनीय अर्नब गोस्वामी के बारे में कुछ बातें।
पहले पटना हाईकोर्ट को बहुत -बहुत धन्यवाद।उसने सख्त कार्रवाई की।
प्रकाश सिंह ने इससे पहले व बाद में भी जान हथेली पर लेकर इस तरह की कई स्टोरी की है।
पहले वे टाइम्स नाऊ में थे।अब रिपब्लिक टी.वी.में हैं।
अर्नब गोस्वामी को भी बधाई जिनके यहां प्रकाश सिंह जैसे पत्रकार के लिए पूरी गुंजाइश है।
(लगे हाथ अर्नब गोस्वामी से अनेक लोगों की ओर से एक ही गुजारिश है-
डीबेट में उन बदतमीज अतिथियों के माइक तत्काल डाउन कर देने का बंदोबस्त करिए जो बारी से पहले चिल्लाने लगते हैं।
खुद आपकी आवाज भी थोड़ी नीची रहे तौभी काम चल जाएगा।
वैसे आपके स्टुडियो के शोरगुल को छोड़ दें तो देशहित में आपके अच्छे कामों की अनेक लोग सराहना करते हैं। )
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आज के प्रभात खबर के अनुसार,
पटना हाईकोर्ट प्रशासन ने भ्रष्टाचार में लिप्त पटना सिविल कोर्ट के 16 कर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
सभी घूस लेने के आरोपित थे।
वहीं पटना पुलिस ने पीरबहोर थाने में इन सभी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने इसकी पुष्टि की।
15 नवंबर 2017 को टीवी चैनल ने कोर्ट में घूस के पैसे के लेनदेन को कैमरे में कैद कर प्रसारित किया था।
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बर्खास्त हुए कर्मियों के नाम हैं--
रोमेंद्र कुमार,
संतोष तिवारी,
कुमार नागेंद्र,
संजय शंकर,
आशीष दीक्षित,
प्रदीप कुमार,
सुनील कुमार यादव,
विश्वमोहन विजय
(सभी पेशकार)
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मुकेश कुमार
( क्लर्क)
सुबोध कुमार (टाइपिस्ट)
शहनाज रिजवी(नकलखाना क्लर्क)
सुबोध कुमार(सर्वर रूम का क्लर्क)
मनी देवी,
मधु राय,
राम एकबाल,
आलोक कुमार
(सभी आदेशपाल)
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--सुरेंद्र किशोर --6 जनवरी 20
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