नाम को नहीं,काम को मिला सम्मान !
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नरेंद्र मोदी के शासनकाल में पद्म सम्मानों की गरिमा
स्थापित होने लगी है।
बिहार से सम्मानितों की सूची को देख कर लगा कि नाम को नहीं बल्कि काम को सम्मान मिला है।
5 सम्मानितों में से तीन का मैंने पहली बार नाम सुना है।
मैंने नहीं सुना तो इसका मतलब यह नहीं कि उनके काम -योगदान सराहनीय नहीं रहे।
हां, वे प्रचार से दूर रहकर अपने काम में लगे रहे।
पर इस सम्मान की गरिमा तब पूरी तरह स्थापित होगी जब उन लोगों को यह सम्मान नहीं मिलेगा जिन्होंने राजनीति में घृणित अपराधियों व कू्रर माफियाओं को स्थापित किया है।
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कई दशक पहले की बात है।
एक नामी व्यक्ति को पहले पद्मश्री से सम्मानित करने का निर्णय हुआ था।
पर पता चला कि उस हस्ती ने 16 लाख रुपए खर्च करके पद्म भूषण हथिया लिया।
ऐसे ही मामलों को जान-सुनकर एक बार खुशवंत सिंह ने कहा था कि
‘‘पद्म सम्मान देने के आधार क्या हैं,मैं आज तक जान नहीं पाया।’’
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--सुरेंद्र किशोर-26 जनवरी 21
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