शुक्रवार, 18 जून 2021

 राजद्रोह के मामलों में सतर्कता जरूरी

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  --सुरेंद्र किशोर--

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केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी, 1962 को अपना ऐतिहासिक जजमेंट दिया था।

राजद्रोह के संबंध में लिखा गया वह जजमेंट आज भी लागू है।

मौजूदा सुप्रीम कोर्ट भी उस पर कायम है।

हाल के दिनों में राजद्रोह को लेकर इस देश में कई जजमेंट हुए हैं।

ताजा निर्णयों को देखकर इस बात की जरूरत महूसस की जा रही  है कि सन 1962 के उस जजमेंट की काॅपी उन सब लोगों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए जो लोग अपनी -अपनी जगह से इस देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को कारगर बनाए रखने की कोशिश में लगे हुए रहते हैं।

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कानोंकान,

प्रभात खबर

पटना 

18 जून 21

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केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 

20 जनवरी 1962 को कहा था कि 

‘देशद्रोही भाषणों और अभिव्यक्ति को सिर्फ तभी दंडित किया जा सकता है,जब उसकी वजह से किसी तरह की हिंसा, असंतोष या फिर सामाजिक असंतुष्टिकरण बढ़े।’

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यह तो उस जजमेंट का लघुत्तम अंश है।

पर, यह उसका सार है।

पूरे जजमेंट को पढ़िए।

गुगल पर भी मिल जाएगा।

इन दिनों राजद्रोह के केस हो रहे हैं।

उन पर अदालतों के निर्णय भी आ रहे हैं।

1962 के मूल जजमेंट से आज के अदालती फैसलों को मिलाइए।

फिर किसी नतीजे पर पहंुचिए।

सवाल है कि आज के निर्णय और 1962 के निर्णय के बीच एकरूपता है या नहीं। 

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18 जून 21


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