पश्चिम बंगाल के साथ-साथ उत्तर
प्रदेश का बंटवारा भी जरूरी
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छोटे राज्यों के मुख्य मंत्री बेहतर ढंग से
कोविड जैसी विपत्ति का भी मुकाबला कर पाएंगे
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--सुरेंद्र किशोर--
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यदि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को तीन -तीन हिस्सों
में बांट दिया जाए तो एक साथ कई समस्याओं का समाधान मिल जाएगा।
जो समस्याएं एक हद तक सुलझेंगी, उनमें राजनीतिक,
जातिगत , सांप्रदायिक , प्रशासनिक, महामारी तथा सुरक्षा संबंधी समस्याएं प्रमुख हैं।
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साथ ही, मुख्य मंत्रियों /राज्यपालों/उप राज्यपालों के पद बढ़ जाएंगे।
पद की चाह या लोलुपता की समस्या भी तो इस देश में एक गंभीर समस्या है !
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.कई मामलों में कुछ नेता सुप्रीमो का भयादोहन करके पद हड़प लेते हैं।
दूसरी ओर, सुप्रीमो जिस योग्य या अपने खास व्यक्ति को पद देना चाहता है,उसके लिए पद बचता ही नहीं।
राज्य के बंटवारें से अनेक नेताओं की उच्चाकांक्षा पूरी की जा सकेगी।
मुख्य सचिव और डी.जी.पी.के पद भी बढ़ेंगे।
इससे अफसर भी खुश होंगे।
हाईकोर्ट की संख्या बढ़ेगी।
मुकदमों के बोझ को कम किया जा सकेगा।
इसके अलावा भी बहुत कुछ होगा।
हां, बड़े राज्यों पर शासन चलाने का अवसर कुछ नेताओं के लिए हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगा।
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उत्तर प्रदेश-बंगाल के संभावित विभाजन को लेकर परस्पर विरोधी खबरें आ रही हैं।
कुछ लोग इसे फेक न्यूज बता रहे हैं तो कुछ लोग खबर के साथ कुछ ‘‘ठोस बातें’’ भी साझा कर रहे हैं।
कुछ बातें अति संवेदनशील हैं जो मैं यहां बता नहीं सकता।
जो भी हो, बंटवारा करना न करना तो केंद्र सरकार के हाथ में है।
मैंने तो ऊपर अपनी निजी राय बताई है।
मेरी यह राय कोविड विपत्ति के समय मुख्य मंत्रियों की परेशानी को लेकर भी बनी है।
बड़े राज्यों के मुख्य मंत्रियों की चिंताएं भी इस काल में बड़ी थीं।
छोटे राज्यों के मुख्य मंत्री बेहतर ढंग से किसी आगामी महामारी-विपत्ति-अकाल का भी सामना कर पाएंगे।
सन 2000 में भी कुछ बड़े राज्यों को बांटा
गया था।
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8 जून 21
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