देश अयोध्या की ओर !
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--सुरेंद्र किशोर--
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हाल में मैंने सुना कि दैनिक हिन्दुस्तान, पटना में मेरे सहकर्मी रहे एक काबिल पत्रकार राम की नगरी में जा बसे,पटना का अपना फ्लैट बेच कर।
मैंने उनसे फोन से बातचीत की।
चूंकि मेरी पत्नी भी वहां बसने या यदाकदा वहां जाकर कुछ -कुछ दिनों के लिए रहने की इच्छा जाहिर कर रही हैं,इसलिए भी मैंने अपने पूर्व सहकर्मी से बातचीत की।
खैर, यह तो भविष्य की योजना है।
पता नहीं, इस योजना पर राम की क्या इच्छा है ?!!
यह भी पता चल रहा है कि देश भर से बहुत सारे लोग अब अयोध्या में बसना या फ्लैट या मकान खरीदना चाहते हैं।
बातचीत से लगा कि पत्नी के साथ अयोध्या में बस चुके मेरे मित्र वहां बहुत खुश हैं।
स्वांतः सुखाय रघनाथा गाथा में मगन हैं।
उनके घर से निर्माणधीन राम लला मंदिर मात्र डेढ़ किलोमीटर पर जो है !
मैंने वहां की जमीन की दर उनसे पूछी।
उन्होंने बताया कि जो जमीन हाल तक 30 लाख रुपए प्रति कट्ठा मिल रही थी, वह अब 60 लाख रुपए कट्ठा हो चुकी है।
कीमत बढ़ती ही जा रही है।
जमीन की कीमत बढ़ाने में बिहार के ‘धनवान’ लोगों का कुछ अधिक ही योगदान है।
खैर, ऐसे में कोई सामान्य आय वाला राम भक्त अयोध्या में कैसे बस सकेगा ?
यह अच्छी खबर है कि योगी सरकार सरयू के किनारे 500 एकड़ क्षेत्र में ‘‘न्यू अयोध्या’’बसाने जा रही है।
इसके लिए राज्य सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों से भी अपील की है कि वे सी.एस.आर.फंड से न्यू अयोध्या के निर्माण में पैसे लगाएं।
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न्यू अयोध्या में ही बने या अन्यत्र बने, किंतु अल्प आय वर्ग के लिए एक कमरे का फ्लैट या मकान का निर्माण होना ही चाहिए।
ताकि, टूटते परिवार के इस दौर में देश के कम आय वाले जो बुजुर्ग जहां -तहां ओल्ड ऐज होम में शरण लेने को बाध्य हो रहे हैं, वे चाहें तो राम की नगरी में ही अपने आखिरी दिन गुजार लें।
यदि सन 2022 में भी उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार फिर बन गई तब तो ये योजनाएं कार्यान्वित हो जाएंगी।
अन्यथा, तो राम ही मालिक है !!
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साथ का चित्र पटना से प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका ‘‘तुलसीदलम्’’ से साभार
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