मतदान जरूरी बने और
लोक सभा -विधान सभा के
चुनाव साथ-साथ हों
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--सुरेंद्र किशोर --
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कोविड महा विपत्ति ने एक बात की खास जरूरत
बता दी है ।
वह यह कि देश में पंचायत और विधान सभा से लेकर लोक सभा तक के चुनाव भी एक ही साथ कराएं जाएं।
यदि पंचायत-नगर निकाय नहीं तो कम से कम लोस-विधान सभा चुनाव तो साथ-साथ कराए ही जा सकते है।
1967 तक साथ ही होते थे।
इससे चुनाव का सरकारी-गैर सरकारी खर्च भी कम हो जाएगा।
विकास के काम भी कम रुकेंगे।
साथ ही, संक्रामक बीमारियों को फैलने से रोका जा सकेगा।
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2014 मंे लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि ‘‘जो मतदान न करे, उनका मताधिकार छीन लो।’’
मैं वैसा तो नहीं कहूंगा।
किंतु ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान करें ,इसके लिए शासन -चुनाव आयोग गाजर और छड़ी दोनों का इस्तेमाल करे।
जो पिछले मतदान का प्रमाण पत्र यानी वोटर वैरिफाइड पेपर आॅडिट दिखाएं,उन्हंे ही सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन देने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने दिया जाए।
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यदि इस देश में भी 90-95 प्रतिशत लोग वोट डालने लगेंगे तो जातीय व सांप्रदायिक वोट बैंक की चुनाव में निर्णायक भूमिका नहीं रह जाएगी।
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जो सरकार जातीय या सांप्रदायिक वोट बैंक के सहारे सत्ता में आती है, आम तौर पर वह सुशासन नहीं चला सकती।
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जबकि, सतत विकास के लिए इस गरीब देश में सुशासन अत्यंत जरूरी है।
इस देश की सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है।
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6 जून 21
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