शुक्रवार, 4 जून 2021

   सरकारी भ्रष्टाचार देशद्रोहियों की राह कर रहा आसान

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      --सुरेंद्र किशोर--

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इसी साल जनवरी में भी चीन के एक सार्वजनिक संस्थान के वित्त पदाधिकारी को फांसी की सजा दे दी गई।

 उस पर रिश्वत लेने का आरोप था।

2013 में चीन के रेल मंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में फांसी की सजा हुई थी।

  बाद में उस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।

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  दूसरी ओर, भीषण भ्रष्टाचार के प्रति भी हमारी सहनशीलता देखिए !

चर्चित कोयला घोटाले में एक आई.ए.एस.अफसर को सन 2018 में 3 साल की सजा हुई।

सन 2019 में दूसरे कोर्ट ने उसे  सजामुक्त भी कर दिया।

उसी कांड में लिप्त अन्य बड़े दोषियों को अभियोजन ने छुआ तक नहीं। 

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  चीन की सीमा से उस देश में यदि कोई अवैध तरीके से घुसने की कोशिश करता है तो चीनी संतरी तत्काल उसे गोली मार देते हैं।

इसके विपरीत बांग्ला देश सीमा पर तैनात हमारे बी.एस.एफ.जवानों को गोली चलाने का अधिकार तक नहीं है।

द्विपक्षीय समझौते के तहत ऐसा बंधन लगा है।

ऐसा समझौता किस साल की हमारी सरकार ने किया ?

उसी सरकार ने किया होगा,जिसके लिए घुसपैठिए वोट बैंक रहे हैं।

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  हमारे देश में बांग्ला देशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या 

अब बढ़कर करीब 5 करोड़ हो चुकी है।

(यह संख्या सुप्रीम कोर्ट के वरीय वकील 

अश्विनी उपाध्याय की तत्संबंधी जन हित याचिका में दर्ज है।)

हमारे यहां के भ्रष्ट सरकारी अफसर उनसे रिश्वत ले लेकर उन्हें राशन कार्ड,मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड भी बना दे रहे  हैं।

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इस सत्य कथा का ‘मोरल’ यह है कि यदि इस देश को ‘‘टुकड़े टुकड़े गिरोह’’ के कब्जे में जाने से बचाना हो तो हमारी सरकार को चाहिए कि वह आय से अधिक संपत्ति और

बेनामी संपत्ति रखने वालों के लिए फांसी की सजा का तत्काल प्रावधान करे।

विदेशों से आने वाले धन पर और अधिक कारगर रोक लगाए।

भीतरी बातों के जानकार लोग बताते हैं कि इन दिनों इस देश में सारी राष्ट्रद्रोही गतिविधियां विदेशी फंडिंग व देशी काला धन के बल पर ही चल रही है।

कश्मीर में पैसे आने बंद हो गए तो वहां पत्थर फेंकने वाले मुफ्त में नहीं मिल रहे हैं।

दूसरी ओर

सरकारी सूत्रों के अनुसार शाहीन बाग वालों को विदेश से करीब सवा सौ करोड़ रुपए मिले थे।

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भ्रष्टाचार की बुराई पर भरसक काबू पाकर ही चीन सरकार सार्वजनिक साधनों को लूट से बचा पा रही है।

उन्हीें साधनों के बल पर वह येन केन प्रकारेण चीन ‘‘दुनिया का दारोगा’’ बनने की कोशिश में है।

दूसरी ओर, हमारी सरकार  अपने देश में फैले भ्रष्टाचारियों,देश तोड़कों  व जेहादियों के खिलाफ काफी नरम हैं।

कानून भी लचर है।

  इस बीच ‘सिद्धांतों’ के लवादे में लिपटे इस देश के विभिन्न पेशों में सक्रिय देश विरोधी तत्व, मजबूत होते जा रहे हैं।

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4 जून 21

 




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