सोमवार, 7 जून 2021

 आस्ट्रेलिया के मेलबर्न मेडिकल काॅलेज 

के गेट पर लगी है प्राचीन भारतीय 

चिकित्सक सुश्रुत (छठी सदी ईसा पूर्व) की मूत्र्ति 

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सुरेंद्र किशोर

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कल्पना कीजिए कि किसी का ब्रेन हेमरेज

हो गया।

या, हर्ट अटैक हो गया।

या, गोली लग गई।

या, सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया।

 तत्काल उपचार के लिए आप उसे कहां ले जाएंगे ?

जाहिर है कि किसी एलोपैथिक चिकित्सक के यहां। 

या बड़े अस्पताल में जहां एलोपैथिक डाक्टर-सर्जन बैठते हैं।

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लेकिन जब कोई इमजेंसी नहीं है तो आप अपने लिए होमियोपैथ या आयुर्वेदिक चिकित्सक की शरण में जा सकते हैं।अनेक लोग जाते ही रहते हैं।

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एक व्यक्ति सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस से परेशान था।

उसे एक एलोपैथिक डाक्टर मित्र ने ही बताया कि आप किसी कुशल होमियोपैथिक चिकित्सक के पास जाइए।

 क्योंकि एलोपैथ में सिर्फ पेन किलर व टै्रक्सन वगैरह का ही प्रावधान है।

उससे पहले उस मरीज ने हड्डी के बड़े एलोपैथिक चिकित्सक से सलाह ली थी।

उन्होंने अन्य बातों के अलावा यह भी कहा कि आप अनुलोम -विलोम भी करिए।

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उस मरीज ने होमियोपैथ चिकित्सक से सलाह ली।

चिकित्सक ने दो दवाएं बताईं।

संभवतः  एक दवा पेन किलर के लिए और दूसरी दवा पीड़ित हिस्से की मरम्मत करने के लिए।

उस मरीज को अब राहत है।

अब उसे टैक्सन पर नहीं जाना पड़ता।

यह नहीं पता कि मरम्मत हो पा रही है या नहीं।

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एक मरीज को कोलोस्ट्राॅल बढ़ जाने की शिकायत थी।

उसे कहा गया कि इसकी एलोपैथ दवा लेने से उसका साइड इफेक्ट होगा।

आयुर्वेद सुरक्षित है।

उसे आयुर्वेद की दो दवाएं बताई गईं।

उसने दोनों दवाएं लीं।

कुछ महीनों तक लेने से उसका कोलोस्ट्राल सामान्य हो 

गया।

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इस तरह के कई अन्य उदाहरण दिए जा सकते हैं।

इसलिए सर्वधारा चिकित्सा पद्धति में भरोसा कीजिए।

सभी पैथों का सम्मान कीजिए।


पता नहीं,कब किस पैथ की जरूरत आ पड़े !

विभिन्न पैथों के दिग्गजों को आपस में लड़ने दीजिए।

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आयुर्वेद को लोअर कोर्ट,

होमियोपैथ को हाईकोर्ट

और एलोपैथ को सुप्रीम कोर्ट मानिए।

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यह भी याद रखिए कि मेलबर्न विश्व विद्यालय के मेडिकल काॅलेज के मुख्य द्वार पर यदि वैद्यराज सुश्रुत की मूतिर्त लगी है तो वे लोग कितने उदारमना और व्यावहारिक हैं ! 

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अंत में

न तो स्वामी रामदेव एलोपैथ की महत्ता को कम कर सकते हैं और न ही एलोपैथिक चिकित्सक योग-आयुर्वेद की बढ़ते महत्व को कम कर सकते हैं।

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