राम विलास पासवान की विरासत
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विरासत कौन संभालेगा ? !
पु़त्र व भाई में होड़ है।
अभी दावे के साथ कुछ कहना पक्षधरिता होगी।
ऐसे मामलों में भूतकाल में इस देश में दोनों तरह के उदाहरण देखे गए हैं।
कुछ उदाहरण मैं यहां दे रहा हूं।
बाकी के लिए फेसबुक फंे्रड से गुजारिश है।
सुप्रीमो ने जिसे चाहा, हर मामले में उसे ही वोटरों ने उत्तराधिकारी नहीं माना।
हां, अधिकतर मामलों में माना।
हालांकि मेरे राजनीतिक -सामाजिक काॅमनसेंस के अनुसार चिराग पासवान का ही पलड़ा भारी लग रहा है।
किंतु आने वाले समय में ही बातें साफ हो पाएंगी।
रामविलास जी ने भी अपने पुत्र को ही अपना उत्तराधिकारी
माना-बनाया था।
एन.टी.रामाराव तो संभवतः अपनी पत्नी लक्ष्मी पार्वती को चाहते थे।
उनके अभिनेता पुत्र हरिकृष्णा भी राज्य सभा में थे।
किंतु इस बीच एन.टी.आर.के दामाद चंद्रबाबू नायडू ने पूरी पार्टी का ही ‘अपहरण’ कर लिया।
शिवपाल यादव ने बहुत कोशिश की।
पर पिता मुलायम सिंह यादव के लिए ‘‘बेटा तो बेटा ही होता है।’’
बिहार में तो कोई खास दिक्कत हुई नहीं।
लालू प्रसाद ने जो चाहा,वही हुआ।ठीक ही चाहा।
आगे का हाल कौन जानता है !
एम.जी.रामचंद्रन के बाद लोगों ने उनकी पत्नी जानकी को जरूर मुख्य मंत्री बना दिया गया था,किंतु तमिलनाडु की जनता जानती थी कि एम.जी.आर.की पसंद तो जयललिता ही थी।
नतीजतन बाद में उन्हें ही लंबे समय तक राज करने का मौका मिला।
खैर, बिहार में राज करने का मौका तो लोजपा के किसी गुट को नहीं मिलने वाला।
ंपर, दही के जामन की भूमिका भी कौन गुट सफलतापूर्वक निभा पाएगा,आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा।
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--सुरेंद्र किशोर
16 जून 21
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