अटल जी के घुटने के आॅपरेशन के लिए
जिसे अमेरिका से बुलाया गया ,उसे एम्स की
नौकरी लायक नहीं समझा गया था।
..............................................
सुरेंद्र किशोर
...............................................
करीब 20 साल पहले तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटने का आॅपरेशन हुआ था।
आॅपरेशन किसने किया था ?
डा.चितरंजन राणावत ने।
उन्हें भारत सरकार ने अमेरिका से इसी काम के लिए
बुलाया था।
मुम्बई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आॅपरेशन हुआ था।
डा.राणावत राजस्थान के एक राज घराने से थे।
आजादी के तत्काल बाद नई दिल्ली में जब एम्स ख्ुाला तो वहां बहाली के लिए डा.राणावत ने भी आवेदन पत्र दिया था।
पर उन्हें जब छांट दिया गया।
फिर वे निराश होकर अमेरिका चले गए।
खैर, वे वहां के नामी डाक्टर बन गए ।
उनकी शोहरत अटल जी तक पहुंची थी।
डा.राणावत का मामला अकेला नहीं है।
.......................................
कोविड महा विपत्ति के समय हमें अपने यहां डाक्टरों की
भारी कमी महसूस हुई है।
ऐसे भी होती रही है।
सैकड़ों डाक्टरों ने कोविड मरीजों की सेवा
करते- करते अपनी जान दे दी।
................................................
हम भारी सरकारी खर्चे से उन्हें डाक्टर बनाते हैं ।
और, वे हमें छोड़कर बेहतर सेवा शत्र्तों व अच्छी जिंदगी के लिए विदेश चले जाते हैं।
कुछ अन्य कारणों से जाते हैं।
डा.राणावत जैसे लोग रहना भी चाहते हें तो उन्हें भेदभाव का शिकार होना पड़ता है।
1.-अब जरूरत इस बात की है कि सरकारें डाक्टरों की सेवा शत्र्तें अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार तय करे।
हमें चिकित्सा उपकरण तो अंतरराष्ट्रीय मानक वाला चाहिए।
युद्ध के लिए हथियार भी वैसे ही चाहिए।
किंतु ‘धरती के भगवान’ के लिए सेवा शत्र्तें बेहतर नहीं चाहिए।
2.-शिकायत रहती है कि डाक्टर गांवों में नहीं जाना चाहते।
महाराष्ट्र की पिछली भाजपा सरकार ने एक -एक विशेषज्ञ चिकित्सक से अलग -अलग मोल-तोल किया था।
गांवों में स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के लिए लाख-दो लाख उनका वेतन तय किया गया था।
पता नहीं, वह प्रयोग सफल हुआ या नहीं।
3.-भारत में डाक्टरों की भारी कमी की समस्या है।
डा.देवी शेट्टी ने पिछले दिनों टाइम्स आॅफ इंडिया में लेख लिखकर सुझाया था कि डाक्टरों की कमी की समस्या को अस्थायी तौर पर कैसे दूर किया जा सकता है।
उनकी सलाह पर प्रधान मंत्री ने कदम भी उठाया।
कमी के स्थायी समाधान के उपाय भी डा.शेट्टी के पास होंगे।
अन्य संबंधित लोगों से भी राय-मशविरा कर सरकार को चाहिए कि वह चिकित्सकों की कमी को पूरा करे।
4.-संभव है कि सेवा- शत्र्तें व कार्य स्थिति सुधारने के बावजूद कुछ डाक्टर यहां से पढ़ -लिखकर विदेश में बसना चाहेंगे ।
तो फिर उनकी पढ़ाई पर सरकार के खर्चे का आधा हिस्सा उनसे वसूला जाना चाहिए।
..................................................
सुरेंद्र किशोर
2 जून 21
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें