स्मारकों को लेकर कांग्रेस और राजग सरकारों में फर्क
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सुरेंद्र किशोर
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गंगा नदी पर मुंगेर के पास नव निर्मित पुल का नाम श्रीकृष्ण सेतु रखा गया है।
बिहार के प्रथम मुख्य मंत्री डा.श्रीकृष्ण सिन्हा के नाम पर इस बड़े सेतु के नामकरण से कांग्रेस को सीख लेनी चाहिए।
सन 1980 की कांग्रेस सरकार ने पटना के पास निर्मित गंगा सेतु के नाम से जयप्रकाश का नाम हटा दिया था।
उससे पहले कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार ने तय किया था कि पटना के पास निर्माणाधीन सेतु का नाम जयप्रकाश सेतु होगा।
1980 में बिहार में कांग्रेस की सरकार बन गई।
डा.जगन्नाथ मिश्र मुख्य मंत्री बने।
कांग्रेस की ओर से यह अभियान चला कि ललित नारायण मिश्र के नाम पर पटना के गंगा पुल का नाम रखा जाए।
पर, उस पर विवाद हो गया।
फिर कांग्रेस सरकार ने गांधी जी का नाम चला दिया।
गांधी के नाम पर भला कौन विरोध करता !
इस तरह जेपी का नाम कट गया।
पर, नीतीश कुमार के मुख्य मंत्रित्व काल में ही पटना के आई.जी.एम.एस.परिसर में इंदिरा गांधी की बड़ी मूत्र्ति लगाई गई।अब मुंगेर पुल का नाम श्रीबाबू के नाम पर पड़ा।
जहां तक मेरी जानकारी है, कांगेे्रस की किसी सरकार ने जेपी या लोहिया के नाम पर कहीं भी कोई स्मारक नहीं बनाया जबकि नेहरू-इंदिरा परिवार के नाम पर देश में करीब 400 स्मारक बनाए गए हैं।
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