कभी बैल गाड़ी पर नाव तो कभी नाव पर गाड़ी।
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सुरेंद्र किशोर
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बात तब की है जब मंडल आयोग की रपट लागू करने की मांग हो रही थी और केंद्र की कांग्रेस सरकार उस मांग को लगातार ठुकरा रही थी।
तब पिछड़ा वर्ग के एक मुखर नेता राम अवधेश सिंह ने मुझसे कहा था कि ‘‘अभी तो कांग्रेस हमें हिस्सेदारी नहीं दे रही है।किंतु एक समय आएगा कि उसे हमसे हिस्सेदारी मांगनी पड़ेगी।तब यह हम पर होगा कि हम उसे कितनी हिस्सेदारी दें।’’
विधान परिषद चुनाव के लिए उम्मीदवार को लेकर राजद के समक्ष बिहार कांग्रेस की दयनीय स्थिति को देखकर मुझे राम अवधेश की वह पुरानी बात याद आ गई।
राजद कांग्रेस को 24 में से एक भी सीट देने को तैयार नहीं है।महागठबंधन में शामिल कांग्रेस को गत विधान सभा उप चुनावों में भी राजद ने एक भी सीट नहीं दी थी।
याद रहे कि राम अवधेश सिंह 1969 में आरा से संसोपा विधायक थे।
1977 में बिक्रमगंज से लोक सभा सदस्य थे।
बाद में राज्य सभा के सदस्य भी बने थे।
अब वे इस दुनिया में नहीं हैं।
मंडल आयोग की रपट 1980 में ही केंद्र सरकार को मिल गई थी।
1980 और 1990 के बीच उस रपट पर संसद में तीन बार लंबी चर्चा हुई।
कांग्रेस सरकार ने संसद में लगातार यह कहा कि रिपोर्ट को लागू करने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास नहीं है।
1990 में वी.पी.सिंह की सरकार ने जब इसे लागू किया तो तब के प्रतिपक्ष के नेता राजीव गांधी ने लोक सभा में ऐसा ‘गोलमोल’ भाषण दिया जिससे अधिकतर पिछड़ों को यह लगा कि कांग्रेस आरक्षण के पक्ष में नहीं है।
तब राजीव गांधी, आरक्षण विरोधी और नेहरूवादी मणिशंकर अय्यर के प्रभाव में थे।
प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पचास के दशक में ही कह दिया था कि हम किसी तरह के आरक्षण के खिलाफ हैं।
उसका खामियाजा कांग्रेस को अब भी मिल रहा है।
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फरवरी 22
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