क्या नरेंद्र मोदी के इस वायदे को
भी पूरा करने की मांग प्रतिपक्ष कभी करेगा ?!!
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में जो भाषण दिया है,उसे किसी ने मुझे व्हाट्सैप पर भेजा है।
वह भाषण आपसे भी शेयर कर रहा हूं।कब का यह भाषण है,यह स्पष्ट नहीं है।
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मैंने सन 1962 में छपरा में जवाहरलाल नेहरू का भी
भाषण सुना था।
यानी,इस बीच मैंने बारी -बारी से सभी प्रधान मंत्रियों के भाषण सुने हैं।
पर, मोदी ने जैसा बोलने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई थी।
मोदी का निम्न लिखित भाषण सिर्फ चुनावी भाषण नहीं हैं।
मुझे लगता है कि यदि भाजपा उत्तर प्रदेश जीत गई तो देश में भारी परिवत्र्तन हो सकता है।
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सुरेंद्र किशोर
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दृश्य-1
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि
‘‘भ्रष्ट और बेईमान लोग मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
मुझे बर्बाद करके छोड़ेंगे।
उन्हें जो करना है,वह करें,पर मैं आजादी के बाद के सारे लुटेरों का कच्चा चिट्ठा खोल कर रहूंगा।’’
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मोदी ने यह भी कहा कि ‘‘ देश में जारी भ्रष्टाचार और बेईमानी खत्म करने के लिए मेरे दिमाग में और कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
वे प्रोजेक्ट आने वाले हैं।
जिनके पास बेईमानी के पैसे हैं,वे यह मानकर चलें कि वह कागज का टुकड़ा है।
उसे बचाने के लिए अधिक कोशिश नहीं करें।
देश आजाद हुआ,तब से अब तक का उनका कच्चा चिट्ठा मैं खोल दूंगा।
जरूरत पड़ेगी तो एक लाख नौजवानों को नौकरी दूंगा।
उन्हें इसी काम में लगाऊंगा।’’
प्रधान मंत्री ने यह भी कहा है कि
‘‘इस देश में ईमानदार लोगों की कमी नहीं है।
मेरी अपील है कि ईमानदार लोग इस काम में मेरा साथ दीजिए।
देश में जारी भ्रष्टाचार-बेईमानी के कारोबार को रोकना है।
मैं जानता हूं कि मैंने कैसी -कैसी ताकतों से लड़ाई मोल ली है।
वे मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
मुझे बर्बाद करके छोड़ेंगे।
उन्हें जो करना है,करें।
सत्तर साल का उनका (लुटा हुआ)मैं लूट रहा हूं।
वे मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
मैंने घर -परिवार देश के लिए छोड़ा है।
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दृश्य-2
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अब कांग्रेस को ‘न्याय योजना’ वाली सलाह देने वाले नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी की इस देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में क्या राय है,उसे भी लगे हाथ पढ़ लीजिए--
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यह भ्रष्ट राजनीति का गुरू मंत्र है।
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‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय, शायद भ्रष्टाचार अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण था, इसे काट दिया गया है।
मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं इससे निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।.............’’
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--नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,
हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान टाइम्स
23 अक्तूबर 2019
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