गुरुवार, 21 सितंबर 2023

 हिन्दी दिवस पर विशेष

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मेरी कविता खो गयी !

कोई उसे खोज देगा ?!

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सुरेंद्र किशोर

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मैंने जीवन में एक ही कविता लिखी।

उस पर मुझे प्रथम पुरस्कार मिल गया।

असावधानीवश मैंने उसकी काॅपी अपने पास नहीं रखी थी।

मेरे पास अब वह कविता नहीं है।

सन 1970 या 1971 में राजेंद्र काॅलेज पत्रिका ‘राका’ में वह छपी थी।

यदि डा.केदारनाथ लाभ के यहां आने-जाने वाले कोई 

व्यक्ति मेरा पोस्ट पढ़ते हों तो वे उसकी फोटो काॅपी मुझे भेज सकते हैं।

क्योंकि अधिक संभावना है कि लाभ जी के घर में राका की प्रतियां जरूर होंगी।

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अब मूल कहानी पर आता हूं। 

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बिना पूछे ,एक संस्मरण सुनाता हूं।

सन 1970 की बात है।

तब मैं छपरा के राजेंद्र काॅलेज में पढ़ता था।

मैं मूलतः साइंस का छात्र था।

1967 में बी.एससी.परीक्षा छोड़ देने के बाद मैंने वहीं हिस्ट्री आॅनर्स में नाम लिखाया।पास भी किया।

1966-67 के छात्र आंदोलन में कुछ अधिक ही सक्रिय रहने के कारण मेरी पढ़ाई उपेक्षित हो गयी थी।

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 डा.मुरलीधर श्रीवास्तव शेखर,(शैलंद्रनाथ श्रीवास्तव के पिता जी)डा.राजेंद्र किशोर और डा.केदारनाथ लाभ जैसे योग्य शिक्षक वहां हिन्दी पढ़ाते थे।

सर्वाधिक आकर्षण मुरली बाबू की कक्षा में रहता था।

वे राजनीतिक संस्मरण भी सुनाते थे।

कभी उन्होंने गांधी जी के साथ हिन्दी पर काम भी किया था।पर,हिन्दी और हिन्दुस्तानी के सवाल पर गांधी जी से झगड़ा करके वापस आ गए थे।

महान व्यक्तित्व था शेखर जी का। 

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एक बार राजंेद्र काॅलेज मंे कविता प्रतियोगिता हुईं।

मैंने भी एक कविता लिख कर उसे जमा कर दिया।

मुझे पुरस्कार की कोई उम्मीद नहीं थी।

  आश्चर्यजनक रूप से मुझे प्रथम पुरस्कार मिल गया।

पुरस्कार देने के लिए आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा पटना से गए थे।

मेरा नाम मंच से तीन बार पुकारा गया।

मुझे तो उम्मीद ही नहीं थी कि मुझे पुरस्कार मिलेगा,इसलिए मैं उस समारोह में था ही नहीं।

शर्मा जी ने कहा कि कैसा कवि है,जिसे प्रथम पुरस्कार मिला,वह पुरस्कार लेने भी यहां नहीं आया !

खैर, बाद में मैं लाभ जी के घर से पंत जी का कविता संग्रह   ‘‘कला और बूढ़ा चांद’’ले आया जो पुरस्कार के रूप में मुझे मिला था।

वह पुस्तक अब भी मेरे पास है।

हां,उस कविता की कोई प्रति मेरे पास नहीं है।

काश ! उस कविता की प्रति मिल जाती। 

उससे पहले या बाद में मैंने कभी कोई कविता नहीं लिखी।

प्रति मिल जाती तो शायद फिर से कविता लिखने की प्रेरणा मिलती !

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14 सितंबर 23


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