गुरुवार, 21 सितंबर 2023

 मिलीजुली सरकार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकती है और

पूर्ण बहुमत वाली एकदलीय सरकार भी बीच में गिर सकती है

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    सुरेंद्र किशोर

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केंद्र में सन 1967 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी थी।

पर,कांग्रेस में महा विभाजन के कारण सन 1969 में वह सरकार अल्पमत में आ गयी।

सन 1971 में लोक सभा का मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा।

सन 1977 में भी जनता पार्टी के मोरारजी देसाई के नेतृत्व में केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली एक दलीय सरकार बनी थी।

पर,वह सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी थी।

सन 1980 में लोक सभा का मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा।

पर,सन 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की मिलीजुली सरकार बनी।फिर भी उस सरकार ने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया।

यानी, स्थायित्व के मामले में मिलीजुली सरकारों का अनुभव भी मिला-जुला रहा है।

  वैसे हर लोक सभा चुनाव से पहले यह आशंका जाहिर की जाती है कि यदि सरकार मिलीजुली बनेगी तो उसके स्थायित्व के बारे में कोई गारंटी नहीं।

याद रहे कि सन 2024 में लोक सभा का चुनाव होने वाला है।

  विभिन्न दलों के गंठजोड़ से बनी सरकारों ने  चार दफा अपना कार्यकाल पूरा किया ।

तो अन्य मामलों में इतने ही दफा समय से पहले सरकारें गिर गईं।

   एक बार फिर 2024 के चुनाव के बाद  मिली जुली सरकार बनने की जब संभावना जाहिर की जा रही है तो उसके स्थायित्व को लेकर भी अभी से ही सवाल उठने लगे हैं।

  ऐसे में पिछले रिकाॅर्ड को देख लेना दिलचस्प होगा।

अब तक इस देश में लोक सभा के 16 चुनाव हो चुके हैं।

यदि सभी सरकारों ने अपने कार्यकाल पूरे किए होते तो अब तक मात्र 15 चुनाव होने चाहिए थे।

  अधिकतर मतदाता यही चाहते हैं कि पूर्ण बहुमत की सरकार बने ताकि सरकार बीच में न गिरे और अनावश्यक चुनावों की नौबत न आए।

अब देखना है कि आगे क्या होता है !

कई बार तो बहुमत वाली सरकारों ने भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया।

सन 1967 और सन 1977 इसके उदाहरण हैं।

सन 1969 में कांग्रेस के महा विभाजन के बाद तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की सरकार अल्पमत में आ गयी थी।

सी.पी.आई. और द्रमुक जैसे कुछ दलों ने सरकार को बाहर से समर्थन किया और सरकार चली।

पर  इंदिरा गांधी ने यह महसूस किया कि उन्हें दबाव में काम करना पड़ रहा है।

नतीजनत  उन्होंने समय से एक साल पहले ही लोक सभा का मध्यावधि  चुनाव सन 1971 में करवा दिया।

  सन 1977 की मोरारजी देसाई सरकार एक दल के बहुमत वाली सरकार थी।पर सत्ताधारी जनता पार्टी में विभाजन के कारण बीच में ही वह सरकार गिर गई।

  सन 1999 में गठित अटल बिहारी वाजपेयी की मिलीजुली सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। 

हां,उस सरकार ने अपनी मर्जी से कार्यकाल पूरा होने के कुछ महीने पहले ही 2004 में चुनाव करवा दिया।

सन 2004 और सन 2009 में गठित मिलीजुली मन मोहन सिंह सरकार ने अपने कार्यकाल पूरे किए।

1991 में पी.वी.नरसिंह राव  के नेतृत्व में गठित सरकार को भी लोक सभा में बहुमत नहीं था।

कांग्रेस को 1991 के लोक सभा चुनाव में सिर्फ 244 सीटें मिली  थीं।

पर, जोड़़तोड़ कर राव साहब ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया।

नब्बे के दशक में बारी -बारी से एच.डीे. देवगौड़ा और आई.के गुजराल के नेतृत्व में बनी सरकारें अपने कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं।

सन 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठित मिली जुली सरकार भी नहीं चल सकी।

सन 1999 में चुनाव कराना पड़ा।

आजादी के बाद के प्रथम पांच चुनावों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला था। सरकारें चलती रहीं।

आपातकाल में सन 1976 में लोक सभा की आयु एक साल बढ़ा दी गयी थी।

सन 1989 से इस देश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर चला।

राज्यों में तो यह दौर सन 1967 के बाद से ही चल पड़ा था।

केद्र में सन 1984 के बाद पहली बार 2014 और 2019 में किसी दल को लोक सभा में पूर्ण बहुमत मिला।

 2014 की मोदी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया।

 सन 2019 में गठित मोदी सरकार भी अपना कार्यकाल पूरा करेगी,इसमें कम ही लोगों को शक है।

पर, 2024 के लोक सभा चुनाव के बाद लोक सभा में दलगत स्थिति क्या होगी, इसको लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं।  

दरअसल 2014 और 2019 के लोक सभा चुनावों में कांग्रेस की भारी हार के बाद कांग्रेस के लिए स्थिति अनिश्चित हो गयी है।

बीच के वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता व अनिश्चतता का सबसे बड़ा कारण रहा है कांग्रेस का कमजोर होना।

एक समय ऐसा भी था जब कांग्रेस देश की राजनीति का पर्याय बन चुकी थी।

यह और बात है कि हर बार उसे 50 प्रतिशत से कम ही मत  मिले।

कांग्रेस को लोक सभा चुनाव मंे 6 बार 300 से अधिक सीटें आईं।

3 बार 2 सौ से अधिक सीटें मिलीं।

6 बार 100 से अधिक सीटें आईं।

दो बार तो 50 के आसपास सीटें ही मिल पाईं।

सन 2014 में सबसे कम 44 और सन 1984 में सबसे अधिक 404 सीटें। 

हाल में कांग्रेस की स्थिति में सुधार जरूर हुआ है।

पर, सुधार की रफ्तार इतनी तेज नहीं है कि इस बात का पक्का  अनुमान किया जा सके कि कांग्रेस को अगली बार काफी अच्छा करेगी।

हां,राजनीतिक हलकों में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि मोदी सरकार ने इस बीच कुछ चैंकाने वाले फैसले किए तो उसे पिछले दो चुनावों से भी अधिक बहुमत मिल सकता है।

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 वेबसाइट मनी कंट्रोल हिन्दी पर 27 अगस्त 23 को प्रकाशित





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