रविवार, 17 सितंबर 2023

 क्या से क्या हो गया देखते-देखते !!!

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कभी पूर्व प्रधान मंत्री चंद्रशेखर पी.एम.सी.एच. में 

अपना आपरेशन कराने आए थे

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सुरेंद्र किशोर

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आज तो बिहार सरकार के बड़े -बड़े अफसरों को 

भी उस अस्पताल पर भरोसा नहीं

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तबियत खराब होने के बाद बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी  को

गुरुवार को पटना के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उससे पहले पटना के कलक्टर भी उसी अस्पताल में भर्ती किए गए थे।

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पूर्व प्रधान मंत्री चंद्रशेखर सन 1962 में पहली बार राज्य सभा के सदस्य बने थे।

उसके बाद की बात है।

उन्हें एक आपरेशन कराना पड़ा था।

वे दिल्ली में भी करा सकते थे।

पर,लोगों ने उन्हें राय दी कि आप पटना मेडिकल काॅलेज अस्पताल में जाकर आपरेशन कराइए।

ठीक रहिएगा।

वहां अच्छे सर्जन हैं।

(डा.शाही या डा.सिन्हा)

 वे पटना आए और स्वस्थ होकर लौटे।

पर,अब सरकारी अस्पताल पी.एम.सी.एच.की स्थिति ऐसी कर दी गयी है कि 

उस पर अपने राज्य के बड़े अफसरों को भी भरोसा नहीं है।

ऐसी खबरें सुनकर आम गरीब मरीजों का दिल बैठ जाता है।

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 एम्स की स्थापना सन 1956 में ही हो चुकी थी।

फिर भी लोगों ने चंद्र शेखर जी पटना क्यों भेजा ?

आज तो दिल्ली का एम्स बेजोड़ है।

पर,क्या तब तक 

पी.एम.सी.एच.की साख उससे बेहतर थी ?

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एम्स में डाक्टरों की नियुक्ति को लेकर एक किस्सा सुनाता हूं।

आपको याद है कि प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के घुटने का आॅपरेशन किस डाॅक्टर ने किया था ?

शायद याद न हो।

उनका नाम था डा.चितरंजन राणावत।

वे तब अमेरिका के नामी डाक्टर थे।

एम्स की स्थापना होने लगी तो जाहिर है कि डाक्टरों की

बहाली शुरू हो गयी।

 डा.राणावत ने भी नौकरी के लिए आवेदन दिया था।

पर, उन्हें नौकरी लायक नहीं समझा गया।

कारण का आप अनुमान लगा लीजिए।

तब वे विदेश चले गये।

अमेरिका में उन्होंने बड़ा नाम किया।

यही कारण था कि उनसे अटल जी मुम्बई के ब्रिच कैंडी अस्पताल में अपना आॅपरेशन करवाया।

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उस जमाने में बिहार में शिक्षा का हाल भी बेहतर था।

श्रीकृष्ण सिंह के शासन काल में पटना विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर,सांगधर सिंह ने,जो पटना से सांसद भी थे,

देश भर से उच्च कोटि के शिक्षकों को बुला कर पटना विश्व विद्यालय में बहाल किया था।

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साठ-सत्तर के दशक में मैं समाजवादी आंदोलन के प्रचार के लिए पटना विश्व विद्यालय के छात्रावासों में जाया करता था।

जैसे ही स्टडी आॅवर शुरू होता था,हमारे छात्र मित्र कहते थे कि अब आप जाइए,हमलोगों के पढ़ने का समय हो गया।

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17 सितंबर 23


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