‘प्राथमिकी’ के लिए पुलिस राज्य मुख्यालय
पटना में केंद्रीयकृत व्यवस्था हो
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सुरेंद्र किशोर
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गाजियाबाद के जागरूक व्यक्ति रवि नारायण ने मेरे फेसबुक वाॅल पर एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात लिखी है।
उनके अनुसार,
‘‘उत्तर प्रदेश में पुलिस कंट्रोल रूम सेंट्रलाइज्ड है।
112 नंबर पर फोन लगाइए।
फोन लखनऊ लगता है।
लोकल पुलिस को वहीं से आदेश जाता है।
आदेश पर कार्रवाई होने की पुष्टि जब तक आप नहीं करेंगे,
तब तक लोकल पुलिस केस बंद नहीं कर सकती है।’’
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क्या ऐसी व्यवस्था बिहार में है ?
मुझे नहीं मालूम।
यदि नहीं है तो वैसी व्यवस्था बनानी चाहिए।
यदि वैसा हो गया तो हर साल सैकड़ों जानें बच जाएंगी।
अपराध भी कम होगा।पुलिस का दबदबा बढ़ेगा।
बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति सन 2005-2013 जैसी बेहतर बन जाएगी।
इससे सत्ताधारी दलों को चुनाव में भी लाभ मिलेगा जिस तरह का लाभ यू.पी.में भाजपा को मिल रहा है।
बिहार के सत्ताधारी दल यह समझ लें कि चुनाव में अब सिर्फ सामाजिक समीकरण का गणित शास्त्र ही नहीं चलता है बल्कि सुशासन का रसायन शास्त्र भी चल रहा है।
बिहार विधान सभा के पिछले उप चुनावों में महा गठबंधन के उम्मीदवार गोपालगंज और कुढ़हनी में हार गये।
उधर यू.पी.में गत साल हुए लोस के उप चुनाव में आजम गढ़ और राम पुर सीटें सपा हार गयीं।
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----सुरेंद्र किशोर
26 सितंबर 23
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