शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

 जब -जब चुनाव करीब आता है तो 

कांग्रेस, भाजपा से सवाल पूछती है कि आप 

लोग बहुत हल्ला कर रहे थे,पर बोफोर्स मामले 

में क्या हुआ ?!!

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एक बार फिर चुनाव करीब है 

यहां पढ़िए-

बोफोर्स मामले में यह सब हुआ।

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सुरेंद्र किशोर

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दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस जे.डी.कपूर ने 4 फरवरी 2004 को 

बोफोर्स मामले में राजीव गांधी और बोफोर्स दलाल को क्लीन चिट दे दी।

  दिल्ली की तब की शीला दीक्षित सरकार ने रिटायर होने के तत्काल बाद जस्टिस जे.डी.कपूर को 14 जुलाई 2004 को दिल्ली उपभोक्ता आयोग का अध्यक्ष बना दिया।

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(अससी के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने एक कांग्रेसी मुख्य मंत्री को भ्रष्टाचार के मामले में क्लिन चिट दे दी थी।

उस जज को कांग्रेस ने तुरंत राज्य सभा में भेज दिया।

उस मुख्य मंत्री पर चेक से घूस लेने का आरोप प्रमाणित था।)

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उधर बाफोर्स मामले में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति तक नहीं दी।

 जबकि सी.बी.आई.के निदेशक एस.के. शर्मा ने कानूनी सलाह लेने के बाद 24 अप्रैल 2004 को ही अपनी यह राय दे दी थी कि अपील की जानी चाहिए।अपील का केस बनता है। 

पर,अपील के लिए समय रहने के बावजूद अज्ञात कारणों से वाजपेयी सरकार ने अपील की अनुमति नहीं दी।

 अटल बिहारी वाजपेयी सरकार 21 मई, 2004 तक सत्ता में रही।

ऐसी ही कमजोरियां दिखाने के कारण अटल सरकार 2004 के चुनाव के बाद सत्ता में नहीं आ सकी।

नरेंद्र मोदी ऐसी कमजोरी नहीं दिखाते,इसलिए दुबारा सत्ता में आए।

तीसरी बार नहीं ही आएंगे,ऐसी कोई गारंटी नहीं। 

दरअसल इस देश में जब भी कोई सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ निर्ममता दिखाती है तो उससे अधिकतर आम जनता खुश हो जाती है। 

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12 सितंबर 23 


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