भारत रत्न नानाजी देशमुख
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आप चाहे जिस किसी विचारधारा के मानने वाले हों,आप जो संकल्प लेते हैं,उसको पूरा कीजिए।तभी लोग आपकी इज्जत करेंगे।
नानाजी देशमुख उन थोड़े से लोगों में थे जिन्होंने इसकी जरूरत समझी थी।
नानाजी ने कहा था कि नेताओं को 60 साल की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से अलग हो जाना चाहिए।
खुद वे उस उम्र में राजनीति से अलग हो गए थे।समाजसेवा में लग गए थे।
नानाजी को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने जनसंघ की राजनीति में अतिवादी बलराज मधोक को दरकिनार करके उदारवादी अटल बिहारी वाजपेयी को आगे बढ़ाया।
नाना जी उन कुछ लोगों में शामिल थे जिन्होंने 4 नवंबर, 1974 को पटना में जेपी की जान बचाई।
आयकर चैराहे के पास जब सी.आर.पी.एफ.के जवानों ने जेपी पर लाठियां बरसानी शुरू की तो नानाजी ने एक लाठी को अपनी बांह पर ले लिया।उससे उनकी बांह को भारी चोट लगी।वे कई दिनों तक पी.एम.सी.एच.के राजेंद्र सर्जिकल वार्ड में इलाज में रहे।
मशहूर पत्रकार प्रभाष जोशी नानाजी के काफी करीबी थे जिनसे मैंने उनके बारे में और जाना था।
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आप चाहे जिस किसी विचारधारा के मानने वाले हों,आप जो संकल्प लेते हैं,उसको पूरा कीजिए।तभी लोग आपकी इज्जत करेंगे।
नानाजी देशमुख उन थोड़े से लोगों में थे जिन्होंने इसकी जरूरत समझी थी।
नानाजी ने कहा था कि नेताओं को 60 साल की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से अलग हो जाना चाहिए।
खुद वे उस उम्र में राजनीति से अलग हो गए थे।समाजसेवा में लग गए थे।
नानाजी को इस बात का श्रेय है कि उन्होंने जनसंघ की राजनीति में अतिवादी बलराज मधोक को दरकिनार करके उदारवादी अटल बिहारी वाजपेयी को आगे बढ़ाया।
नाना जी उन कुछ लोगों में शामिल थे जिन्होंने 4 नवंबर, 1974 को पटना में जेपी की जान बचाई।
आयकर चैराहे के पास जब सी.आर.पी.एफ.के जवानों ने जेपी पर लाठियां बरसानी शुरू की तो नानाजी ने एक लाठी को अपनी बांह पर ले लिया।उससे उनकी बांह को भारी चोट लगी।वे कई दिनों तक पी.एम.सी.एच.के राजेंद्र सर्जिकल वार्ड में इलाज में रहे।
मशहूर पत्रकार प्रभाष जोशी नानाजी के काफी करीबी थे जिनसे मैंने उनके बारे में और जाना था।
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