रविवार, 6 जनवरी 2019


शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि प्रधान मंत्री का इंटरव्यू प्रायोजित था।वे विनोद दुआ और रविश कुमार का  सामना क्यों नहीं करते ?
शत्रु जी ने ठीक कहा है ।प्रधान मंत्री को  किसी भी पत्रकार का सामना करना ही चाहिए।
पर खुद बिहारी बाबू ने केद्रीय स्वास्थ्य  मंत्री के रूप में संसद का सामना कैसे किया,उसका एक नमूना यहां पेश है--
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शत्रुघ्न बोले-क्यों मेरा इम्तिहान ले रहे हो ?
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संसद में शॅाटगन के लगातार उपहास का पात्र बनने का क्रम जारी
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नयी दिल्ली,4 दिसंबर,2002,एजेंसियां ।संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के पश्चात स्वास्थ्य मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा को  आज लोक सभा में अपने मंत्रालय से संबंधित सवालों के बारे में अनभिज्ञ होने के कारण एक बार पुनः सदस्यों के उपहास का पात्र बनना पड़ा।
 लोक सभा में प्रश्न काल के दौरान सदस्यों के प्रश्नों का जवाब देने के लिए खड़े शत्रुघ्न  हर सवाल पर बगले झांकते नजर आए।
उनकी हालत यह थी कि अधिकारियों द्वारा भेजी गयी पर्चियां पढ़ते तो सवाल छूट जाते और सवाल सुनते तो पर्चियों में उनका जवाब नहीं तलाश पाते।
 देश में प्रतिबंधित दवाओं के नाम पढ़ते समय स्वास्थ्य मंत्री हड़बड़ा गए और उनसे दवा के नाम  का उच्चारण करते नहीं बना तो कहा कि जो भी है ....पांच छह सात दवाएं हैं जिन्हें प्रतिबंधित किया गया है।उनके इस जवाब पर सदन ठहाकों से गूंज उठा।
अन्ना द्रमुक के पी.एच.पांडियन के सवाल  के जवाब में उन्होंने कहा कि आप लोग क्यों मेरा इम्तिहान ले रहे हैं ?
मैं कोई डाॅक्टर नहीं हूं।मेहनत करके सीख रहा हूं।
मैं आप लोगों का अशीर्वाद हासिल कर रहा हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि सदन में इतने अच्छे मेरे भाई हैं।आप लोग सहयोग कीजिए।
उनकी इस टिप्पणी के बावजूद सदस्य उनसे चुहलबाजी करने से बाज नहीं आए।
  दूसरी ओर अधिकारी स्वास्थ्य मंत्री को संकट से उबारने में लगे रहे और एक के बाद एक पर्चियां भेजते रहे।हालत यह हुई कि हर नई पर्ची आने पर सभी सदस्य बेसाख्ता हंसते रहे।
बाद में सिन्हा जब एक अन्य प्रश्न का उत्तर देने लगे तो विपक्ष की ओर से आवाज आयी, बहुत डायलग मार रहा है।इस पर सिन्हा ने उनकी ओर मुखातिब होकर हंसते हुए धीरे से कहा कि आप भी डाॅयलाग मारते हैं।
इस पर स्पीकर मनोहर जोशी ने उन्हें विपक्ष की टीका -टिप्पणी पर ध्यान न देने की सलाह दी।
तब सिन्हा ने कहा कि मैं उन्हें गंभीरता से नहीं लेता।
इसके बाद जोशी ने तीन -चार प्रश्नकत्र्ताओं  के नाम पुकारे तो वे सदन में  नदारत थे।संयोग से ये सारे सवाल स्वास्थ्य मंत्री से संबंधित थे। इस पर कांग्रेस के एस.बंगरप्पा ने सिन्हा की तरफ मुखातिब होकर  चुटकी ली, कुछ गड़बड़झाला लग रहा है।@दैनिक जागरण-5 दिसंबर 2002@
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नोट-शत्रु जी अगली बार जब मंत्री बनेंगे तो यह नौबत फिर न आ जाए,उसकी पूर्व तैयारी उन्होंने जरूर इस बीच कर ली होगी ! मेरी शुभकामना !

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