पटना साहिब से अभी ‘बिहारी बाबू’ सांसद हैं।जिस क्षेत्रसे शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं, उस क्षेत्र पर यदि देश भर की नजरें हैं, तो स्वाभाविक ही है।
खास कर इसलिए भी कि वे अब भाजपा से विद्रोही हो गए हैं।
उनके उम्दा कलाकार होने के कारण मैं उनका भारी प्रशंसक हूं।खुद को बिहारी बाबू कहलाना पसंद करने के कारण भी प्रशंसक हूं।
जब अधिकतर बिहारी लोग बिहार के बाहर खुद को बिहारी कहलाना पसंद नहीं करते थे,उस समय सतरू भैया बिहारी बाबू बने।
हालांकि उनके ‘राजनीतिक व्यवहार’ का मैं प्रशंसक नहीं हूं।
मुझसे बाहर के कुछ लोगों ने फोन पर पूछा,क्या होगा बिहारी बाबू के चुनाव क्षेत्र में ?
मैंने बताया कि अगली बार बिहारी बाबू दूसरे ही दल से लड़ेंगे,यह तो तय है।
अब सवाल यह है कि उनका मुकाबला किससे होगा और वह कितना कारगर रहेगा।
स्वाभाविक है कि भाजपा में इस क्षेत्र से कई टिकट के उम्मीदवार हैं।क्योंकि जो बिहारी बाबू को हराएगा और यदि राजग की सरकार फिर बनेगी तो उसके मंत्री बनने का चांस रहेगा।
मैं अभी यह नहीं कह रहा हूं कि बिहारी बाबू हार ही जाएंगे।
पर जैसी सामाजिक बुनावट पटना साहिब की है,उसमें भाजपा का चांस बेहतर रहेगा,ऐसा जानकार लोगों का मानना है।
हालांकि इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता कि यह सीट जदयू के कोटे में चला जाए।
चर्चा है कि इस सीट के लिए भाजपा में टिकट केे एक प्रत्याशी को दिल्ली में मीडिया का प्रभार मिल गया।
दूसरे सिक्किम के प्रभारी बन गए।तीसरे को भी भाजपाने कोई अन्य जिम्मेदारी दे दी।
अब बचे आर.के.सिन्हा जो राज्य सभा में भाजपा के सदस्य भी हैं।मैं नहीं जानता।पर यदि आर.के.सिन्हा भाजपा के टिकट के प्रत्याशी हैं तो यह स्वाभाविक ही है।सुना है कि हैं।
सत्तर के दशक में आर.के.सिन्हा यानी रवीन्द्र किशोर चर्चित पत्रकार थे।अब वे हिन्दुस्तान समाचार ग्रूप के अध्यक्ष है।
उनके पत्रकार होने के कारण मेरी उनसे भारी सहानुभति है।
बातचीत में भी विनम्र हैं।लोगों के सुख -दुख में शामिल रहते हैं।यदि भाजपा उन्हें टिकट देती है तो वह उसका सही निर्णय होगा।
कई लोग मानते हैं कि वे बिहारी बाबू का कारगर मुकाबला कर पाएंगे। मुझे भी ऐसा लगता है।पर अभी तो सब कुछ भविष्य के गर्भ में है।
खास कर इसलिए भी कि वे अब भाजपा से विद्रोही हो गए हैं।
उनके उम्दा कलाकार होने के कारण मैं उनका भारी प्रशंसक हूं।खुद को बिहारी बाबू कहलाना पसंद करने के कारण भी प्रशंसक हूं।
जब अधिकतर बिहारी लोग बिहार के बाहर खुद को बिहारी कहलाना पसंद नहीं करते थे,उस समय सतरू भैया बिहारी बाबू बने।
हालांकि उनके ‘राजनीतिक व्यवहार’ का मैं प्रशंसक नहीं हूं।
मुझसे बाहर के कुछ लोगों ने फोन पर पूछा,क्या होगा बिहारी बाबू के चुनाव क्षेत्र में ?
मैंने बताया कि अगली बार बिहारी बाबू दूसरे ही दल से लड़ेंगे,यह तो तय है।
अब सवाल यह है कि उनका मुकाबला किससे होगा और वह कितना कारगर रहेगा।
स्वाभाविक है कि भाजपा में इस क्षेत्र से कई टिकट के उम्मीदवार हैं।क्योंकि जो बिहारी बाबू को हराएगा और यदि राजग की सरकार फिर बनेगी तो उसके मंत्री बनने का चांस रहेगा।
मैं अभी यह नहीं कह रहा हूं कि बिहारी बाबू हार ही जाएंगे।
पर जैसी सामाजिक बुनावट पटना साहिब की है,उसमें भाजपा का चांस बेहतर रहेगा,ऐसा जानकार लोगों का मानना है।
हालांकि इस संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता कि यह सीट जदयू के कोटे में चला जाए।
चर्चा है कि इस सीट के लिए भाजपा में टिकट केे एक प्रत्याशी को दिल्ली में मीडिया का प्रभार मिल गया।
दूसरे सिक्किम के प्रभारी बन गए।तीसरे को भी भाजपाने कोई अन्य जिम्मेदारी दे दी।
अब बचे आर.के.सिन्हा जो राज्य सभा में भाजपा के सदस्य भी हैं।मैं नहीं जानता।पर यदि आर.के.सिन्हा भाजपा के टिकट के प्रत्याशी हैं तो यह स्वाभाविक ही है।सुना है कि हैं।
सत्तर के दशक में आर.के.सिन्हा यानी रवीन्द्र किशोर चर्चित पत्रकार थे।अब वे हिन्दुस्तान समाचार ग्रूप के अध्यक्ष है।
उनके पत्रकार होने के कारण मेरी उनसे भारी सहानुभति है।
बातचीत में भी विनम्र हैं।लोगों के सुख -दुख में शामिल रहते हैं।यदि भाजपा उन्हें टिकट देती है तो वह उसका सही निर्णय होगा।
कई लोग मानते हैं कि वे बिहारी बाबू का कारगर मुकाबला कर पाएंगे। मुझे भी ऐसा लगता है।पर अभी तो सब कुछ भविष्य के गर्भ में है।
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