जो कुछ अरनब गोस्वामी में है, वह अरनब गोस्वामी में ही है !
--------------------------------
अरनब गोस्वामी का ‘रिपब्लिक भारत’ जल्द दस्तक देने जा रहा है।
मुझे तो उसका बेचैनी से इंतजार है।
मेरा मानना है कि जो बात अरनब गोस्वामी में है, वह अरनब गोस्वामी में ही है !
अरनब में जो कुछ है, मैं उसका फैन हूं।
पर,एक बात को छोड़कर।
वह एक बात यह है।
अरनब गोस्वामी जब अपने ‘टाॅक शो’ में एक साथ आधा दर्जन मुंहजोड़ अतिथियों को बोलने-चिल्लाने देते हैं तो मुझे उन पर बड़ा गुस्सा आता है।पर, मैं करूं तो क्या करूं !
न तो मैं अपना टी.वी.सेट फोड़ सकता हूं और न ही अपना सिर ! सिर्फ चैनल बदल सकता हूं।
इसीलिए जब मैंने अपने पसंदीदा एंकर अमिताभ अग्निहोत्री को बड़बोले अतिथियों का माइक डाउन करते देखा तो मैं उनकी तारीफ में लिखने से खुद को नहीं रोक नहीं सका।
खैर, इसके बाद भी कुछ लोगों की एक और शिकायत अदमनीय अरनब गोस्वामी से है।वह यह कि अरनब लगभग एकरफा हैं।
हालांकि वैसा ही एकतरफापन कुछ दूसरे चैनल का भी है तो उन लोगों की उनसे कोई शिकायत नहीं है !
खैर, यह सब उनकी समस्याएं हैं।
मुझे तो किसी के एकतरफापन से कोई शिकायत नहीं है।
इस देश के कुछ लोग एक विचार के साथ में मगन हैं तो दूसरे लोग कुछ दूसरे विचार के साथ।उन्हें मगन रहने दीजिए।कुछ विचार देश के लिए सही हैं तो कुछ अन्य .......।
मेरी शिकायत सिर्फ इस बात से होती है जब कोई मीडिया गलत तथ्य पेश करता है या फिर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करता है।
तथ्य तो पवित्र है, अपने विश्लेषण के लिए आप जरूर स्वतंत्र हैं।सारे तथ्य बाहर आने दीजिए ।चाहे वह किसी के पक्ष में जाता हो या विरोध में।
हर सरकार के कार्यकाल में कुछ अच्छा होता है तो कुछ गलत भी।किसी में ज्यादा अच्छा तो किसी अन्य के कार्यकाल में ज्यादा बुरा।
यदि आप एकतरफापन की शिकायत करेंगे तो यह भी बता दीजिए कि मीडिया में एकतरफापन कब नहीं रहा है ? अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर।
मैं तो नेहरू काल से अखबार पढ़ रहा हूं और मीडिया के बारे में जान-समझ-पढ़ रहा हूं।
मैं बंबई के साप्ताहिक ब्लिट्ज और करंट दोनों पढ़ता था।
एक घोर वामपंथी तो दूसरा घनघोर दक्षिणपंथी।
नीर क्षीर विवेक के साथ उसे ग्रहण कर लेता था।आप भी ग्रहण कीजिए।सबकी सुनिए, अपनी करिए !
--------------------------------
अरनब गोस्वामी का ‘रिपब्लिक भारत’ जल्द दस्तक देने जा रहा है।
मुझे तो उसका बेचैनी से इंतजार है।
मेरा मानना है कि जो बात अरनब गोस्वामी में है, वह अरनब गोस्वामी में ही है !
अरनब में जो कुछ है, मैं उसका फैन हूं।
पर,एक बात को छोड़कर।
वह एक बात यह है।
अरनब गोस्वामी जब अपने ‘टाॅक शो’ में एक साथ आधा दर्जन मुंहजोड़ अतिथियों को बोलने-चिल्लाने देते हैं तो मुझे उन पर बड़ा गुस्सा आता है।पर, मैं करूं तो क्या करूं !
न तो मैं अपना टी.वी.सेट फोड़ सकता हूं और न ही अपना सिर ! सिर्फ चैनल बदल सकता हूं।
इसीलिए जब मैंने अपने पसंदीदा एंकर अमिताभ अग्निहोत्री को बड़बोले अतिथियों का माइक डाउन करते देखा तो मैं उनकी तारीफ में लिखने से खुद को नहीं रोक नहीं सका।
खैर, इसके बाद भी कुछ लोगों की एक और शिकायत अदमनीय अरनब गोस्वामी से है।वह यह कि अरनब लगभग एकरफा हैं।
हालांकि वैसा ही एकतरफापन कुछ दूसरे चैनल का भी है तो उन लोगों की उनसे कोई शिकायत नहीं है !
खैर, यह सब उनकी समस्याएं हैं।
मुझे तो किसी के एकतरफापन से कोई शिकायत नहीं है।
इस देश के कुछ लोग एक विचार के साथ में मगन हैं तो दूसरे लोग कुछ दूसरे विचार के साथ।उन्हें मगन रहने दीजिए।कुछ विचार देश के लिए सही हैं तो कुछ अन्य .......।
मेरी शिकायत सिर्फ इस बात से होती है जब कोई मीडिया गलत तथ्य पेश करता है या फिर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करता है।
तथ्य तो पवित्र है, अपने विश्लेषण के लिए आप जरूर स्वतंत्र हैं।सारे तथ्य बाहर आने दीजिए ।चाहे वह किसी के पक्ष में जाता हो या विरोध में।
हर सरकार के कार्यकाल में कुछ अच्छा होता है तो कुछ गलत भी।किसी में ज्यादा अच्छा तो किसी अन्य के कार्यकाल में ज्यादा बुरा।
यदि आप एकतरफापन की शिकायत करेंगे तो यह भी बता दीजिए कि मीडिया में एकतरफापन कब नहीं रहा है ? अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर।
मैं तो नेहरू काल से अखबार पढ़ रहा हूं और मीडिया के बारे में जान-समझ-पढ़ रहा हूं।
मैं बंबई के साप्ताहिक ब्लिट्ज और करंट दोनों पढ़ता था।
एक घोर वामपंथी तो दूसरा घनघोर दक्षिणपंथी।
नीर क्षीर विवेक के साथ उसे ग्रहण कर लेता था।आप भी ग्रहण कीजिए।सबकी सुनिए, अपनी करिए !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें