शुक्रवार, 4 जनवरी 2019

पाटलिपुत्र विश्व विद्यालय का स्थायी भवन पटना के मीठा पुर बस स्टैंड के पास बनेगा।
यानी पटना को गैस चेम्बर बनने से रोकने का एक और अवसर बिहार सरकार ने खो दिया।
 यह स्थान इस तर्क के आधार पर चुना गया है कि प्रादेशिक राजधानी के सारे बड़े शिक्षण संस्थान एक ही साथ आसपास रहें।
यह तर्क तो सही है।
पर, पटना मेडिकल काॅलेज अस्पताल का प्रस्तावित विशाल भवन भी तो नगर के बीच में ही बनने जा रहा है।
विशाल बिहार म्यूजियम नगर की मुख्य सड़क पर बन गया।
पटना कलक्ट्री को नगर के बाहर ले जाने का प्रस्ताव कुछ साल पहले सामने आया था।पर वह भी कार्यान्वित नहीं हो सका।
  नगर में अधिक आॅफिस और प्रतिष्ठान, यानी महा नगर बन रहे  पटना नगर में अधिक वाहन।अधिक वाहन यानी अधिक प्रदूषण।
अधिक आबादी यानी भूजल पर भी अधिक दबाव।अन्य अनेक समस्याएं।
  चीन ने अपने महा नगरों से कुछ प्रतिष्ठान बाहर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।वे अपने महा नगरों को गैस चेम्बर बनने से अभी से रोक देना चाहते हैं।पर हमारी केंद्र सरकार यही काम दिल्ली में नहीं कर रही है।
 जहां सबसे ताकवर सरकार बसती है,उस महा नगर दिल्ली में सर्वाधिक प्रदूषण ! ?आश्चर्य होता है।
भीषण प्रदूषण के कारण दिल्ली के लोगों की आयु 7 साल कम हो गयी है।पटना का भी यही हाल है।
दिल्ली से कुछ लोग बाहर जा रहे हैं,पर प्रतिष्ठान व सरकारी दफ्तर यथावत हैं।क्यों भाई ?
अपनी ही अगली पीढि़यों की थोड़ी चिंता तो कर लो !
रवीन्द्र नाथ ठाकुर के जमींदार परिवार के पास कलकत्ता में भी जमीन थी,पर उन्होंने वहां से 168 किलोमीटर दूर शांति निकेतन बसाया।      

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