याद कीजिए 2015 । बिहार विधान सभा का चुनाव होने
वाला था।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कह दिया था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए।
फिर क्या था !
लालू प्रसाद ने घोषणा कर दी कि यह चुनावी लड़ाई अगड़ों और पिछड़ों के बीच है।
क्योंकि भाजपा सत्ता में आएगी तो हमारा आरक्षण समाप्त कर देगी।
नतीजतन पिछड़ों के वोट से पहले से जीत रहे अधिकतर भाजपा उम्मीदवार 2015 में हार गए।
हुकुम देव नारायण यादव के पुत्र भी उम्मीदवार थे।
वे उस क्षेत्र के यादवों से कहते रह गए कि आरक्षण समाप्त नहीं होगा।पर मतदाता नहीं माने।
हुकुमदेव जी जैसे नेताओं को भाजपा में ‘अतिथि कलाकार’ माना जाता है।
अब राजद के ‘अतिथि कलाकार’ रघुवंश प्रसाद सिंह कह रहे हैं कि राजद सवर्ण आरक्षण के खिलाफ नहीं है।
जब लोगों ने हुकुमदेव जी की बात नहीं सुनी तो रघुवंश जी की कैसे सुन लेंगे ?
वाला था।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कह दिया था कि आरक्षण की समीक्षा होनी चाहिए।
फिर क्या था !
लालू प्रसाद ने घोषणा कर दी कि यह चुनावी लड़ाई अगड़ों और पिछड़ों के बीच है।
क्योंकि भाजपा सत्ता में आएगी तो हमारा आरक्षण समाप्त कर देगी।
नतीजतन पिछड़ों के वोट से पहले से जीत रहे अधिकतर भाजपा उम्मीदवार 2015 में हार गए।
हुकुम देव नारायण यादव के पुत्र भी उम्मीदवार थे।
वे उस क्षेत्र के यादवों से कहते रह गए कि आरक्षण समाप्त नहीं होगा।पर मतदाता नहीं माने।
हुकुमदेव जी जैसे नेताओं को भाजपा में ‘अतिथि कलाकार’ माना जाता है।
अब राजद के ‘अतिथि कलाकार’ रघुवंश प्रसाद सिंह कह रहे हैं कि राजद सवर्ण आरक्षण के खिलाफ नहीं है।
जब लोगों ने हुकुमदेव जी की बात नहीं सुनी तो रघुवंश जी की कैसे सुन लेंगे ?
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