रविवार, 6 जनवरी 2019

यू.पी.ए.शासनकाल का कोयला घोटाला कुल मिला कर 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए का था।
क्या सचिव स्तर का एक अफसर अकेले इतना बड़ा घोटाला कर सकता है ? 1 लाख 86 हजार करोड़ रुपए को देख कर  किसी अन्य सत्ताधारियों के मुंह से लार नहीं टपकी ? 
  हालांकि ये घोटाले टुकड़ों में हुए,पर टुकड़ों मेें ही सही,बड़े निर्णायक लोगों में से सजा तो सिर्फ पूर्व कोल सेक्रेट्र्री हरिश्चंद्र गुप्त को ही मिल रही है।
 कोयला खान के आवंटन की फाइल न जाने कहां -कहां से गुजरते हुए कोयला मंत्री तक पहुंची थी।उस समय उस पद भी प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह ही थे।अंतिम निर्णय उनका ही था।
पर उनका बाल बांका नहीं हुआ।बेचारा ‘गरीब’ सचिव जिसने आदेश का पालन भर किया होगा ,पीडि़त हो रहा है।उसने कहा है कि जमानत के लिए वकील को देने के लिए मेरी  पेंशन राशि के पैसे काफी नहीं हैं, इसलिए मैं जेल जाऊंगा।उसके साथी उसे ईमानदार बता रहे हैं।
यह हुआ आरोपों का कृष्ण मेननीकरण !
 ऐसा ही एक और उदाहरण ! एयर फोर्स के बड़े अधिकारी एस.पी.त्यागी हेलिकाॅप्टर घोटाले में पकड़ में आ गए।घोटाला 36 हजार करोड़ रुपए का है।इतने रुपए देख कर न जाने इस देश के कितने बड़े -बड़े हुक्मरानों की जीभ से लार टपके होंगे ! हालांकि कुछ के नहीं भी टपके होंगे।
पर पकड़ में तो आए त्यागी जी ही !एक दो अन्य छोटे लाल ! उन्हें न तो कोई हरिश्चंद्र कह रहा और न ही त्यागी ही।पर बेचारा सिर्फ वही क्यों ? क्या अन्य बड़े घोटालेबाज सहभागी लोग परलोक में ही अपने पापों को फल भोगेंगे ! ?
  कृष्ण मेननीकरण जारी है ......। ऐसे ही चल रहा है अपना देश !
   

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