सोमवार, 21 जनवरी 2019

बुरे नतीजे की चेतावनी के बावजूद कांग्रेस ने 1990 में गिरने से बचा ली थी मुलायम की सरकार



   सन् 1990 में कांग्रेस पार्टी ने मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव की  कुर्सी बचा ली थी।ऐसा उसने अपनी उत्तर प्रदेश शाखा के कड़े विरोध और बुरे नतीजे की चेतावनी के बावजूद किया था।
  मुलायम को समर्थन देने के विरोध में खड़े  कांग्रेसियों ने तब हाईकमान को चेताया था कि मुलायम सरकार को समर्थन देकर अभी  बचा लेने से आगे चल कर कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित होगा।
हाल में जब सपा ने कांग्रेस को नजरअंदाज करके बसपा से 2019 के लिए चुनावी तालमेल करने का एलान कर दिया तो पता नहीं तब कांग्रेस हाई कमान को 1990 की वह घटना याद आई थी या नहीं।
वैसे भी राजनीति में किसी एहसान के प्रतिदान की समाप्त होती परंपरा के बीच अखिलेश यादव के राजनीतिक आचरण से कम ही लोगों को आश्चर्य हुआ होगा।
पर शायद इस घटना से एहसान करने वाले कुछ देर रुक कर जरूर सोच सकते हैं।
 नब्बे के दशक में जनता दल में विभाजन के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव, चंद्र शेखर गुट में शामिल हो गए थे।वी.पी.सिंह से दोनों की राजनीतिक दुश्मनी थी।
तब मंडल और मंदिर आंदोलन का दौर चल रहा था।
देश में भारी राजनीतिक तनाव था।कई नेता एक दूसरे को निपटाने के काम में लगे हुए थे।
 वैसे में उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए भी एक निर्णायक घड़ी सामने आ खड़ी हुई थी।
जनता दल में विभाजन के बाद मुलायम सिंह के सामने उत्तर प्रदेश विधान सभा में विश्वास मत हासिल करने की एक बहुत बड़ी समस्या थी। 
तब राजेंद्र कुमारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश इंदिरा कांगेस की अध्यक्षा थीं।बलराम सिंह यादव तब उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता थे और वे मुलायम सिंह यादव के कट्टर विरोधी थे।
  मुलायम सिंह यादव का विधान सभा में बहुमत समाप्त हो जाने के बाद नई दिल्ली से लखनऊ तक राजनीतिक हलचल तेज हो गयी।
  वाजपेयी और यादव  ने इंका हाईकमान को चेताया कि मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव को समर्थन देना आगे चल कर पार्टी के लिए आत्मघाती साबित होगा।
उन नेताओं का आशय था कि इससे कालक्रम में मुलायम मजबूत होंगे और कांग्रेस कमजोर।सत्ता में बने रहने से मुलायम को अपनी राजनीतिक ताकत बढ़ा लेने में सुविधा होगी।ऐसा वे कांग्रेस की कीमत पर करेंगे।
तब राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस का नाम इंदिरा कांग्रेस था।
हालांकि इन दोनों नेताओं ने हाईकमान का आदेश को माना।
तब उत्तर प्रदेश में विधान सभा में इंका के 94 विधायक हुआ करते थे। 
आगे चल कर धीरे- धीरे वही होता गया जिसकी भविष्यवाणी 
वाजपेयी और यादव ने की थी।
हाल में जब अखिलेश यादव ने कांग्रेस को नजरअंदाज करके बसपा से तालमेल कर लिया तो उस समय उन्होंने 1990 के 
उपकार को याद नहीं रखा।दरअसल राजनीति में उपकार नाम की कोई चीज नहीं होती।
होती है तो सिर्फ महत्वाकांक्षा,महात्वाकांक्षा और सिर्फ महत्वाकांक्षा !
  दरअसल इंका ने भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए मुलायम सिंह यादव की सरकार बचाई थी।
मुलायम सिंह यादव ने तब कहा था कि मेरी सरकार गिराने के लिए वी.पी.सिंह ने भाजपा के साथ मिल कर साजिश रची है।
  बगल के राज्य बिहार में भी उन दिनों कमोवेश ऐसी ही राजनीतिक स्थिति रही।
  भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस और सी.पी.आई.ने लालू -राबड़ी सरकार की मदद की।
पर न तो वे भाजपा को सत्ता में आने से रोक सके और न ही खुद को कमजोर होने  से बचा  सके।-सुरेंद्र किशोर 
@मेरा यह लेख फस्र्टपोस्ट हिन्दी में 21 जनवरी 2019 को प्रकाशित@





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