मंगलवार, 22 सितंबर 2020

    लाख दुखों की एक दवा,

    मिट्टी, पानी, धूप, हवा !

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   --सुरेंद्र किशोर--

भागलपुर स्थित तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र के 

डा.जेता सिंह कल मेरे कोरजी गांव स्थित आवास पर आये।

उनके साथ डिजिटल पोर्टल ‘न्यूजहाट’ के स्थानीय प्रबंध संपादक कन्हैया भेलाड़ी भी थे।

 चूंकि प्राकृतिक चिकित्सा में छात्र -जीवन से ही मेरी रूचि रही है।

इसलिए मैं डा.जेता सिंह व उनके चिकित्सा केंद्र या इस तरह के अन्य प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रों के कामों व उपलब्धियों को सराहना की दृष्टि से देखता रहा हूं।

  साठ-सत्तर  के दशकों में गोरखपुर स्थित आरोग्य मंदिर से प्रकाशित पत्रिका ‘आरोग्य’ नियमित रूप से मैं पढ़ता था।

‘‘लाख दुःखों की एक दवा,मिट्टी, पानी, धूप हवा !’’

तभी मैंने सीखा था।

आरोग्य मंदिर के संचालक बिट्ठलदास मोदी का इस क्षेत्र में बड़ा नाम था।अब वे नहीं रहे।

 वहां अब पहले जैसी बात नहीं है।

सिनियर बिट्ठल जी के पुत्र एलोपैथिक चिकित्सा क्षेत्र चले गये। 

  खैर, हिन्दी क्षेत्र के लिए अच्छी बात है कि तपोवर्धन चिकित्सा केंद्र वर्षों से सेवारत है।

 हाल में उसके विस्तार का काम भी शुरू हुआ है।

वहां कुछ अनोखी योजनाएं भी हैं-जैसे मिट्टी के घर।

याद रहे कि मिट्टी के घरों में रहने वालों के पास रोग कम ही फटकते हैं।

  विशेषज्ञ लोग बताते हैं कि ईंट-सीमेंट वालों पर अपेक्षाकृत खतरा अधिक रहता है।

सर्वाधिक खतरे में वे हैं जिन्होंने दीवालों पर पुट्टी लगवा रखी है।

 इस बात का सर्वे होना चाहिए कि मिट्टी के घरों में रहने वालों को कोरोना ने अपेक्षाकृत कम परेशान 

किया या नहीं !

  डा. जेता सिंह की बातों से लगा कि भागल पुर का यह चिकित्सा केंद्र प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम प्रदान करेगा।

मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने इस चिकित्सा केंद्र के विकास में रूचि ली है।

वह चाहते हैं कि बिहार से बाहर लोग भी इस चिकित्सा केंद्र से अधिकाधिक संख्या में लाभान्वित हों।

लंबी बातचीत से मुझे लगा कि डा.जेता सिंह मुख्य मंत्री की आकांक्षा को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील हैं।


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