बुधवार, 2 सितंबर 2020

 अंग्रेजी समर्थकों की धृष्टता,अहंकार ,अज्ञान असीम है।

अंग्रेजी हमारी गुलामी की माध्यम भाषा है।

किस मुंह से इसे पूरे भारत की राष्ट्रभाषा या अकेली संपर्क भाषा बनाने की बात करते हैं ?

 200 सालों की कोशिशों के बावजूद 10-12 प्रतिशत से ज्यादा भारतीयों की प्रथम भाषा नहीं बन पाई है।

---राहुल देव,  

    जनसत्ता के पूर्व

    संपादक 


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